उदयपुर। डेड़ महीने की छुट्टी के बाद आज सरकारी और सरकार से मान्यता प्राप्त स्कूल खुल गए। सोमवार सुबह से ही स्कूलों और सड़कों की रोनक हँसते खेलते शरारतों से भरे बच्चों के खिल खिलाते चेहरों से लोट आई कुछ ख़ुशी ख़ुशी स्कूल पहुचे तो कुछ रोते हुए अपने माता पिता के साथ लेकिन स्कूल के पहले दिन की ख़ुशी ज्यादा थी बड़े छात्र जो पिछले डेड़ महीने से अपने स्कूली मित्रों को मिस कर रहे थे वे भी बड़े ख़ुशी ख़ुशी स्कूल गए और मित्रों का गले लग कर अभिवादन किया।
स्कूल जाने की तैयारी हर घरमे पिछले दो तीन दिन से चल रही थी हर मां अपने बच्चों के बेग टिफ़िन जूते किताबे आदि की तैयार करने में जुटी थी और आज सुबह सुबह सजे धजे अपने नन्हे मुन्नों को स्कूल तक छोड़ कर आई तो कोई बस और टेम्पो तक। कोई अपने पापा की ऊँगली पकड़ कर स्कूल तक गया तो बिटिया रोते हुए मम्मा की गोद में स्कूल तक पहुची ।
पिछले डेड़ महीने से छुट्टिय चल रही थी हालाकिं सीबीएससी से सम्बंधित कुछ स्कूल पहले ही खुल चुके है ।
अभिभावकों के उठने का समय भी बदला :
पिछले डेड़ महीने से बच्चों की छुट्टियाँ थी तो अभिभावक भी आराम में थे। जल्दी उठने की टेंशन नहीं थी लेकिन आज से उन्हें भी अपना टाइम टेबल बदलना पड़ा माताओं को बच्चों के टिफिन और कपड़ों की तैयारी के लिए उठाना ही होता है, तो पिता को अपने लाडलों को स्कूल तक छोड़ने जाने के लिए उठना पड़ा।
ओटो अंकल भी मुस्तेद :
बच्चों के स्कूल की तैयारी और पढाई में जितना योगदान माता पिता और गुरु का होता है । उतना ही योगदान ओटो अंकल का भी होता है। चाहे गर्मी हो बारिश हो या सर्दी ओटो अंकल सही समय पर बच्चों के सारथि बन कर ठीक समय पर घर के आगे आजाते है । और बच्चे भी ख़ुशी से चिल्लाते हे “ओटो अंकल आगये ” आज सुबह से उन्ही ओटो अंकल का इंतजार हर घर के बहार बच्चे करते मिले और हर गली सडक पर ओटो अंकल बच्चों को लेने जा पहुचे ।