उदयपुर । शहर के स्कूल गुरु गोविन्द सिंह सीनियर सैकंडरी स्कूल में गरीब व मध्यमवर्गीय बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। गुरु गोविद सिंह स्कूल में पिछले वर्ष कॉमर्स के दो सेक्शन थे, जबकि इस बार स्कूल प्राचार्य न मनमानी करते हुए एक ही सेक्शन कर दिया और स्कूल खुलने के तीन दिन बाद ही एडमिशन लेने आये बच्चों को चलता कर दिया। कॉमर्स में एडमिशन लेने के लिए बच्चे आखरी दिन तक भटकते रहे, लेकिन प्राचार्य ने स्कूल के बाहर हाउस फुल का बोर्ड लगा दिया।और कहते रहे की अब तो कोई गोल्ड मेडिलिस्ट हुआ तब भी एडमिशन नहीं मिलेगा ।
जेक से दिए एडमिशन
ऐसे कई बच्चों के अभिभावक के कॉल आए जो पांच जुलाई से अपने बच्चों के एडमिशन के लिए स्कूल के चक्कर काट रहे हैं। अभिभावकों ने आरोप लगाया है कि कॉमर्स में दो सेक्शन की जगह एक सेक्शन कर दिया और उसमे भी जेक लेकर आने वाले या फिर परिचितों को ही एडमिशन दिया गया। कई बच्चों के 50 प्रतिशत अंक होने पर भी उनको चलता कर दिया, जबकि 37 और 40 प्रतिशत वाले बच्चों को कॉमर्स में एडमिशन दे दिया गया।
सेक्शन घटाने का जवाब नहीं
जिम्मेदारों से जब सेक्शन घटाने के बारे में पूछा गया, तो कभी तो उन्होंने सीटें फुल होने की बात कहीं और कभी जवाब दिया कि हमारे यहां तो बच्चे आए ही नहीं, आसपास दूसरी स्कूलें ज्यादा हो गई है। इसलिए बच्चें नहीं आए। इसके साथ ही यह जवाब भी दिया गया कि हमारे पास जितना स्टॉफ है। उतने ही एडमिशन दिए गए हैं, जबकि स्कूल में पांच अध्यापक कॉमर्स के हंै और बाकी जरूरत पडऩे पर फैकल्टी पर बुलाया जा सकता है। गौरतलब है कि गुरु गोविन्दसिंह स्कूल शहर की सबसे बड़ी सरकारी स्कूल है। मध्यमवर्गीय और गरीब बच्चे यहां पर पढ़ते हैं, लेकिन प्राचार्य के इस फरमान से इन बच्चों के सपनों पर तुषारापात हो गया है।
॥जितना स्टाफ था, उतने एडमिशन दे दिए गए। मेरिट के आधार पर नहीं, पहले आओ पहले पाओ के आधार पर एडमिशन दिए गए है। अब यदि बाद में गोल्ड मेडलिस्ट भी आए, तो हम क्या कर सकते हैं।
-कैलाशचंद्र पालीवाल
प्राचार्य, गुरुगोविन्द सिंह स्कूल
॥यह मामला मेरी जानकारी में नहीं है। आप कह रहे हैं, तो में दिखवाती हूं।
-कृष्णा चौहान, डीइओ (प्रथम)
गोल्ड मेडलिस्ट हुआ तब भी एडमिशन नहीं मिलेगा ….
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