लापरवाही के पहियों पर बालवाहिनियां

Date:

l_bal-vahini-in-rajsamand-57c2ed5200af7_l (1)राजसमंद.

निजी स्कूल संचालक अभिभावकों से मनमानी बस किराया तो ले रहे हैं, लेकिन सुविधा, सुरक्षा राम भरोसे है। यहां तक की ड्राइवर रखने में भी कोताही बरतते हैं, अप्रशिक्षित ड्राइवरों से नौनिहालों की जान हर समय खतरे में रहती है। राजसमंद में ऐसे कई उदाहरण हैं जहां पर ड्राइवरों की लापरवाही से दुर्घटनाएं हुई।

निजी स्कूल संचालकों के साथ ही यहां का परिवहन विभाग कार्रवाई में बिल्कुल निष्क्रीय बना हुआ है। इसके साथ ही अधिकांश स्कूल संचालकों ने पुराने व कंडम वाहन खरीद रखे हैं और एवज में अभिभावकों से मोटी ट्रांसपोर्ट फीस वसूल रहे हैं। आज भी ड्राइवरों व वाहन फिटनेस की जांच के बिना बसों का खुले आम संचालन हो रहा है।

मूक दर्शक बना है प्रशासन

कई स्कूल संचालक अनफिट बसों का संचालन कर रहे हैं। इनके पास न तो नियमानुरूप फिटनेस सर्टिफिकेट है न आपात स्थिति से निपटने के लिए फस्र्ट एड बॉक्स व अग्निशमन यंत्र लगे हैं। गंभीर बात यह है कि अफसर भी जानते हैं कि इन कंडम बसों के संचालन से नौनिहालों की जान संकट में पड़ सकती है फिर भी वह मूक दर्शक बने हैं।

नियम बता रहा विभाग

नियमों की पालना नहीं कर रहे निजी स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाए परिवहन निगम प्रेस विज्ञाप्ति जारी कर नियम बता रहा है। जबकि यहां बस सभी नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।

जाली तक नहीं लगी

कई स्कूल बसों में काले कांच लगे हैं, जबकि गाइड लाइन के तहत शीशे पारदर्शी होने चाहिए। बस के दोनों साइड जाली लगाने का प्रावधान है, ताकि खिड़की से बच्चे शरीर का कोई अंग बाहर न निकाल सकें। ड्राइवर-कंडक्टर का नाम पीछे लिखा होना चाहिए। लेकिन यहां अधिकतर निजी स्कूलों ने नियमों को ताक पर रखा हुआ है।

रंग में भी मनमानी

जिले में कई निजी स्कूल ऐसे हैं जिन्होंने अपने स्कूल की बसों को पीला रंग तक नहीं पुतवाया है। कोर्ट के साफ आदेश हैं कि स्कूल बसों का रंग पीला ही होना चाहिए।

ठूंस-ठूंस भरते हैं बच्चे

जिले में प्रारंभिक व माध्यमिक शिक्षा के अंतर्गत जिले में पांच सौ से अधिक निजी शिक्षण संस्थानों में छात्र छात्राओं को घर से लाने व ले जाने के लिए कई जगह बसें है तो कई जगह ऑटो, टेम्पो का संचालन किया जा रहा है। 52 सीट बसों में जबरन व नियम विरूद्ध नब्बे से सौ छात्र- छात्राएं भरे जाते हैं।

 स्कूल बसों में यह खामियां

  • ड्राइवरों के प्रशिक्षित होने की नहीं होती जांच
  • कई स्कूल बसों के पीछे इमरजेंसी नंबर नहीं हैं।
  • कुछ स्कूलों में अटैच बसें संचालित की जा रही हैं। जिनसे बच्चों को लाने ले जाने के अलावा अन्य उपयोग लिया जाता है।
  • कंडम बसों में स्पीड गवर्नर नहीं है।
  • इमरजेंसी विंडो भी गायब है।
  • नियम अनुरूप फिटनेस सर्टीफिकेट नहीं है।

 केस-1

22 अगस्त, 2016 को नाथद्वारा के समीप खेड़लिया की नाल के पास श्रीजी पब्लिक स्कूल की बस बेकाबू होकर रोड से उतर कर ढलान के पास चली गई। बताया जाता है कि हादसा ड्राइवर की लापरवाही के चलते हुआ। बस में करीब 30 बच्चे सवार थे जो काफी डर गए। घटना के बाद आसपास के ग्रामीणों ने बच्चों को बचाया।

 केस-2

11 फरवरी 2016 को सुबह एक स्कूल बस स्वास्तिक सिनेमाघर के पास रूडिप द्वारा पाइप लाइन के लिए खोदे गए गड्ढे में फंस गई थी।  शुक्र रहा सभी दो दर्जन बच्चों को सुरक्षित उतार लिया गया। इससे बच्चे और शिक्षक-शिक्षिकाएं डर के मारे चीखने लगे थे। हालांकि यहां बस चालक ने सूझबूझ दिखाते हुए बस का संतुलन बनाए रखा था।

केस-3

7 नवम्बर 2014 को भीलवाड़ा राजमार्ग पर प्रतापपुरा के समीप कुंवारिया मार्ग पर एक निजी स्कूल की बस नाले में अनियंत्रित होकर पलट गई थी। जिसमें पांच से पन्द्रह वर्ष के 34 विद्यार्थी घायल हुए थे तथा दो दर्जन से अधिक विद्यार्थी डर गए थे।

Shabana Pathan
Shabana Pathanhttp://www.udaipurpost.com
Contributer & Co-Editor at UdaipurPost.com

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Subscribe

spot_imgspot_img

Popular

More like this
Related

Motherless.com Review | LUSTFEL

Motherless.com is among those...

Enjoy enjoyable and engaging conversations inside our bi guy chat room

Enjoy enjoyable and engaging conversations inside our bi guy...

Benefits of cross dressing dating

Benefits of cross dressing datingThere are many benefits to...