- प्रशासन ने गरीब महिला को किया नजरअंदाज, दोनों आंखों से कभी देख पाएगी कौंध रहा सवाल
- सराडा,गरीबी के चलते रुकमा मुंह छिपाकर घुट घुट कर जीवन यापन कर रही है पर उसकी मदद को न तो स्वयंसेवी संस्थाएं और न ही प्रशासन आगे आ रहा है। सराड़ा उपखण्ड से मात्र 10 किमी दूर बलुआ ग्राम पंचायत के उदई हर फ ले मे निवासी रुकमा मीणा पत्नी रामा मीणा की बचपन में आंख पर गांठ हो गई। उसके माता-पिता ने सराड़ा व झाड़ोल अस्पताल में इलाज करवाया पर चिकित्सकों ने केवल कागजी कार्रवाई कर वापस भेज दिया।
- विवाह के बाद पति ने अपने स्तर पर सराड़ा तक प्रयास किया परन्तु हर जगह गरीबी बाधक बन गई और इलाज नहीं हो पाने से आज रुकमा की एक आंख लगभग पूरी खत्म हो गई है। करीब 2 किलो से ज्यादा की गांठ लटक रही है जिसके चलते उस गरीब महिला का घर से निकलना मुश्किल हो रहा है।यही नहीं घूंघट की आड़ से घुट घुट कर जी रही रुकमा को बार बार एक ही सवाल कौंध रही है कि क्या वह कभी दोनों आंख से देख पाएगी या नहीं?
- प्रशासन की नजरअंदाजी
उस गरीब आदिवासी महिला के साथ भगवान के साथ साथ प्रशासन भी मजाक करता नजर आ रहा है । प्रशासन की ओर से आज तक कोई सहायता नहीं मिली है। पेंंशन का आवेदन करने के बावजूद उसे सिवाय आश्वासन के कुछ नहीं मिला। रुकमा मीणा के परिवार की हालत भी दयनीय है। कच्ची झोपड़ी में वह पति व बच्चों के साथ रह रही है ।
दिखवाएंगे मामला
बीमारी से ग्रस्त लोगों को तत्काल पेंशन सहित अन्य राजकीय योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए। इस मामले को दिखवाऊंगा।
मोहकम सिंह, तहसीलदार व कार्यवाहक उपखण्ड अधिकारी, सराड़ा
घुट-घुट कर जीने को मजबूर….रूकमा
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