उदयपुर. फोर व्हीलर का लाइसेंस पाने के लिए नियम तो कहता है कि कार लेकर आओ चलाकर दिखाओ, लेकिन परिवहन विभाग में अलग ही कारोबार चल रहा है। यहां एक इंस्टिट्यूट ने खटारा कार की व्यवस्था कर रखी है। 50 से 100 रुपए लेकर ट्रायल करवाया जाता है और लाइसेंस की औपचारिकता पूरी हो जाती है। इस बात से अधिकारी भी अनजान नहीं हैं। किट से चलने वाली इस कार पर हर रोज डीएल के 70 से ज्यादा आवेदक ट्रायल दे रहे हैं।
एक मिनट ट्रायल के 100 रुपए तक
विभाग में दस्तावेजों के वेरिफिकेशन के बाद ट्रायल देनी होती है। विभागीय प्रतिनिधि या एजेंट का इशारा पाते ही कार मालिक चाबी ट्रायल देने वाले को सौंप देता है। कार के स्टार्ट होते ही उसे थोड़ा आगे और फिर रिवर्स करवाया जाता है। जो काफी परेशानी भरा होता है। गाड़ी के गैस किट पर होने तथा खटारा होने के कारण वो सही चल भी नहीं पाती। इसके बावजूद उसे एप्रूव्ड कर दिया जाता है। अगर आवेदक शहर का है तो 50 रुपए और बाहर से आया है तो 100 रुपए तक वसूल लिए जाते हैं।
कार चलाने में क्या परेशानियां
ट्रायल देने आए चालकों से जब ट्रायल के बारे में जाना तो उनका कहना था हमने नई कार चलाना सीखी, लेकिन यहां खटारा कार से ट्रायल ली गई। कार को चलाने में काफी परेशानियां रहीं। कुशल सिंह का कहना था कि कार का इंजन बैठा है। क्लच प्लेट्स चिपकी हुई हैं। इसके चलते यह पिकअप नहीं लेती। पंकज श्रीमाली ने बताया कि ज्यादा एक्सेलरेट करने पर यदि कार को फस्र्ट गियर में उठाए तो यह झटके खाती है। स्टीयरिंग भी काफी हार्ड है।
यह है नियम
मोटर व्हीकल एक्ट के तहत ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने से पूर्व ट्रायल देनी होती है। इसके लिए स्वयं का वाहन साथ लाना जरूरी होता है। ट्रायल के समय फोर व्हीलर वाहन में आगे पीछे एल अंकित होना चाहिए तथा साथ में अनुभवी चालक की मौजूदगी होना भी जरूरी है। यह जरूरी भी नहीं है कि ट्रायल देने वाले के नाम पर ही वाहन हो।
पाबंद करेंगे
॥बात सही है। ट्रायल के लिए यह कार अनधिकृत है। निरीक्षकों को पाबंद किया जाएगा कि ट्रायल के दौरान यह जांच लें कि वाहन ट्रायल देने वाला व्यक्ति अपने साथ लाया हो।
कानसिंह परिहार, डीटीओ, उदयपुर