उदयपुर। सुखाडिया विश्वविद्यालय के ऑडिटोरियम के बाहर जंहा रात का पारा गिरता जा रहा था वहीं खचाखच भरे ऑडिटोरियम के अन्दर प्रख्यात वीर रस के कवि हरिओम पंवार की जोश भरी कविताएं सुधि श्रोताओं में जोश भरते हुए उनकी बाजुओं को फडका रही थी। अवसर था रोटरी क्लब एलीट द्वारा वीर रस के कवि हरिओम पंवार की काव्य संध्या के आयोजन का। काव्य संध्या के मुख्य अतिथि सुखाडिया विश्वविद्यालय के छात्र अधिष्ठाता प्रो डी.एस.चुण्डावत कल्याण अतिथि थे।
वीर रस के कवि हरि ओम पंवार ने कविता पाठ करते हुए ‘आओं गाली-गाली खेलें दिल्ली के दरबार में,आओं कोलदलीली खेलें,दिल्ली के दरबार में..‘, ‘मैं भारत का संवधिान हूं,लाल किले से बोल रहा हूं,मेरा अन्तर्मन घायल है दिल की गांठे खोल रहा हूं,मैं ऊपर से हरा भरा हूं, संसद में सौ बार मरा हूं ..‘, ‘मैं भी गीत सुना सकता हूं शबनम के अभिनंदन के,मैं भी ताज पहन सकता हूं नंनदनवन की चंदन के,लेकिन जब तक पगडंडी से संसद तक कौलाहल है तब तक जन-मन-गन के क्रन्दन के,मैं झोपडियों का चारण हूं आंसूओं के गीत गाने आया हूं,भारत माता की तस्वीर दिखाने लाया हूं..‘, ‘ ये पाकिस्तानी गालों पर दिल्ली के चांअे होते,गर हमनें दो के बदले बीस शीश काटे होते,दिल्ली वालों अपने को बुद्घ करों, या क्रुद्घ करों,काशमीर को दान करों या गद्दारों से युद्घ करों..‘ कविताएं सुनायी तो हॉल में बैठे हजारों श्रोताओं के तालियों की भूरपूर दाद मिली।
करीब ३ घंटे तक चले इस कवि सम्मेलन में एटा से आयी श्रृगांर रस की कवियित्री योगिता चौहान ने अपनी कविताओं से रस परितर्वन करते हुए ‘भूल गई मैं सारी बातें,एक फसाना याद रहा, मुझकों भरी जवानी मैं बस एक दिवाना याद राह..‘, ‘अखिंया ढूंढ रही है तेरी सूरत प्यारी,मितवा आओं प्यार कर लें..‘, ‘श्वंास-श्ंवास में रमने वाले मेरे दिल में बसने वाले इतनें तीर न सह पांऊगी,नहीं अबोली रह पाऊंगी..‘, कविता पाठ किया तो श्रृंगार रस की कविताओं को जनता ने भरपूर सराहा। कार्यक्रम के सूत्रधार राव अजात शत्रु ने अपने कविता पाठ में ‘गठबंधन की राजनीति है, ठगबंधन की राजनीति है,तेल कहीं का दीया कहीं की बाती है,ऐसे कहीं कोई ज्योत जलाई जाती है,जेसे दिनकर ने गाया कलम फिर गाती है, सिंहासन खाली करोंं अब जनता आती है ..‘, कविता प्रस्तुत की तो जनता ने उनकी बात का तालियों के साथ पूरा समर्थन किया। काव्य संध्या में शाहपुरा के दिनेश बंटी ने भी अपनी कविताएं प्रस्तुत की।
आओं गाली-गाली खेलें दिल्ली के दरबार में..
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Hindi Inspirational Story on Success – Think Possitive
कभी office में promotion न मिले. या फिर exam
में marks कम आये या selection न हो.
तो व्यक्ति को ऐसा लगता है जैसे दुनिया ख़तम
हो गयी हो.
पर इस list में मौजूद व्यक्तियों को देखकर
आपको पता पड़ेगा की बहुत बड़ी हार भी success
तक पहुचने का एक पायदान है.
जैसे ट्रेन या बस में सफ़र करते हुए, बिच में बहुत से
छोटे छोटे stops आते है. वैसे ही हमारी ultimate
सफ़लता के सफ़र में भी हार-जीत के stops आते रहते
है. कुछ लोगों की जिंदगी में stops ज्यादा होते है. वे
मंजिल तक पहुँचाना चाहते है. पर
ऐसा हो नहीं पता.
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