रफ्तार के सौदागर नियमों को तोड़कर हाइवे पर ही नहीं, बल्कि सिटी में भी हाई पॉवर बीम हेडलाइट्स लगाकर गाडिय़ां दौड़ा रहे हं। उन्हें इस बात की तनिक भी फिक्र नहीं कि जिस रोशनी को वे अपनी सहूलियत व सुरक्षा के लिए प्रयोग कर रहे हैं, वो दूसरों की दुनिया को अंधेरे में डूबो सकती है। बावजूद इसके न तो ट्रैफिक पुलिस हाईबीम लाइट लगाने वालों को रोक पा रही है और ना ही आरटीओ ऑफिसर्स को नियम टूटने की कोई चिंता है।
हमको नहीं पता रूल्स :
सिटी में लोग हाईबीम हेडलाइट का यूज कर रहे हैं, एक्सीडेंट हो रहे हैं। लेकिन इससे शायद ट्रैफिक पुलिस को कोई मतलब नहीं है। ट्रैफिक पुलिस के एक जवान से बातों में पता चला कि उसे गाडिय़ों की हेडलाइट से संबंधित किसी भी नियम की जानकारी नहीं है। इस संबंध में आरटीओ के एक अधिकारी से बात करने पर मीटिंग में व्यस्त होना कहकर फोन रख दिया।
ये है दुर्घटनाएं होने के मोटे-मोटे कारण
50 की जगह 150 वॉट का बल्ब
जानकारी के अनुसार कंपनियों से कार व अन्य एसयूवीज में 12 एम्पियर का 60/55 वॉट का बल्व लगा होता है। इस बल्व के एक ही ग्लॉस में दो फिलामेंट होते हैं। जिनके इस्तेमाल से लाइट को ऊपर-नीचे किया जाता हैं। वहीं दूसरी ओर रफ्तार के सौदागर और हाइवे पर चलने वाले अक्सर इस बल्व की जगह वाहनों में 100/90 वॉट का बल्व लगवा लेते हैं। जिससे कि तेज रफ्तार में गाड़ी चलाने पर रोड पर ज्यादा दूरी तक नजर आए। इस बल्व की कीमत भी बहुत अधिक नहीं होती है। केवल 200 रुपए में ऐसे हेडलाइट बल्व मिल जाते हैैं। कुछ लोग इससे भी अधिक रोशनी व बल्व को फ्यूज होने से बचाने के लिए साथ में रिले भी लगा लेते हैं। इतना ही नहीं हेडलाइट की जगह 150 वॉट तक का कटआउट भी लगवा लेते हैं।
लगवा लेते हैं एचआईडी किट :
बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी हैैं, जो इससे भी अधिक रोशनी के लिए गाड़ी में एचआईडी किट लगवा लेते हैं। जिसमें दो बल्व और [quote_right] ॥इस प्रकार की कोई भी लाइट गाड़ी में नहीं होनी चाहिए। अगर होती है तो हम समझाइश कर उसे हटवाते है। नहीं हटाने पर कई बार चालान भी काटे गए है। बड़े शहरों व मेट्रो सिटी में गाडिय़ों को डिपर पर रखकर ही चलाया जाता है। – महेंद्रसिंह, ट्राफिक डिप्टी[/quote_right]ब्लास्टर लगे होते हैं। इसके लिए अलग से वायरिंग होती है। इसकी कीमत 5000 रुपए के करीब है। इन हाईबीम हेडलाइट्स की रोशनी के आगे किसी की आंख टिक पाना मुश्किल होता है। फिर लोग इन्हीं हाईबीम लाइट्स का इस्तेमाल हाइवे पर ही नहीं सिटी में गाड़ी चलाने पर करते हैं, जिसकी तेज रोशनी की वजह से सामने से आ रही गाड़ी के ड्राइवर को आगे कुछ नजर नहीं आता है। ड्राइवर एक्सीडेंट से बचने के लिए गाड़ी की स्पीड धीमी करने व लेफ्ट साइड गाड़ी ले लेने के लिए मजबूर हो जाते हैं। ऐसे में अगर आगे जा रही गाड़ी पास में या फिर लेफ्ट साइड में है, तो टकरा जाती है।
हर तरफ अंधेरा ही अंधेरा :
सिटी में हर साल आपराधिक घटनाओं से ज्यादा रोड एक्सीडेंट्स हो रहे हैं। सबसे अधिक रोड एक्सीडेंट्स शाम और रात को हो रहेे[quote_simple]रोड पर खड़े रहते हैं यमदूत : ऐसी हालात में रोड पर खड़ी की गई गाडिय़ां काफी खतरनाक साबित होती हैं। शहर की सड़कों पर वाहनों की संख्या दो लाख से अधिक हो चुकी है। पार्किंग न होने की वजह से रोड पर ही गाडिय़ां खड़ी रहती हैं। इनके खिलाफ ट्रैफिक पुलिस कुछ खास कार्रवाई नहीं करती है। बाइक, कार ही नहीं ट्रक, बस आदि भी सड़क पर ही खड़े रहते हैं।[/quote_simple] हैैं। इसके भी कई कारण है। एक तो सिटी की सड़कें अंधेरे में डूबी रहती हैं। शहर इस तरह की कई सड़के हैं, जो कि शाम से ही अंधेरे में डूब जाती हैं।
हो जाती है टक्कर :
अंधेरे में डूबी सड़कों पर सामने वैसे भी कुछ नजर नहीं आता है, ऐसे में हाईबीम हेडलाइट्स खतरे को और भी बढ़ा देती हैं। इन हाईबीम हेडलाइट्स की वजह से सामने से आ रही बाइक व अन्य गाड़ी के ड्राइवर के सामने अंधेरा सा छा जाता है। वह रोड पर खड़े ट्रक, पोल आदि में टकरा जाता है। कुछ इन्हीं वजहों से गुरुवार शाम को हाइवे पर जा रही दो युवतियों को सामने से आ रहे एक ट्रक ने चपेट में ले लिया। हादसे में दोनों युवतियों की मौके पर ही मौत हो गई। हाई पॉवर बीम लाइट के इस्तेमाल के कारण अधिक रोड एक्सीडेंट होते है। सिटी में तो इनका कतई यूज नहीं किया जाना चाहिए।
रोड पर खड़े रहते हैं यमदूत :
ऐसी हालात में रोड पर खड़ी की गई गाडिय़ां काफी खतरनाक साबित होती हैं। शहर की सड़कों पर वाहनों की संख्या दो लाख से अधिक हो चुकी है। पार्किंग न होने की वजह से रोड पर ही गाडिय़ां खड़ी रहती हैं। इनके खिलाफ ट्रैफिक पुलिस कुछ खास कार्रवाई नहीं करती है। बाइक, कार ही नहीं ट्रक, बस आदि भी सड़क पर ही खड़े रहते हैं।
ट्रांसफॉर्मर व पोल बने मुसीबत :
सड़क पर पोल व ट्रांसफॉर्मर लगे हुए हैं। अंधेरे में लोग इनसे टकरा न जाएं, इससे बचाने के लिए रेडियम कॉशन बोर्ड भी नहीं लगे हुए हैं। जब सामने से आने वाली गाड़ी की हाईबीम लाइट पड़ती है, तो नॉर्मली ड्राइवर गाड़ी को लेफ्ट साइड कर लेता है, लेकिन गाड़ी इन पोल्स व ट्रांसफॉर्मर से टकरा जाती है, जिससे ड्राइवर व गाड़ी में सवार लोगों की जान खतरे में पड़ जाती है।