उदयपुर। भाजपा की ओर से उदयपुर सीट से प्रत्याशी की घोषणा के साथ ही अब राजनीतिक तस्वीर भी साफ हो गई है। भाजपा ने जनजाति मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष अर्जुन मीणा को मैदान में उतारा है तो कांग्रेस ने वर्तमान सांसद रघुवीर मीणा पर फिर से विश्वास जताया है। दोनों प्रमुख प्रत्याशियों के राजनीतिक सफर पर नजर डालें तो अर्जुन के सितारे हमेशा बुलंदी पर रहे। वहीं, रघुवीर भी भाग्य के धनी कहे जा सकते हैं।
लसाडिया में जन्मे अर्जुन एम.कॉम, बी.एड, विधि स्नातक है। सांख्यकी विभाग में 13 वर्ष बतौर निरीक्षक रहने के बाद त्यागपत्र देकर राजनीति में उतरे। 2003 में भाजपा के टिकट पर वे सलूम्बर से चुने गए। हालांकि वे गत विधानसभा चुनाव में भी सलूम्बर से प्रमुख दावेदार थे। पार्टी ने उनके स्थान पर अमृतलाल मीणा को मैदान मेें उतारा। लेकिन वे विचलित नहीं हुए और लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट गए। तीन माह बाद ही पार्टी ने उन्हें लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाकर प्रतिफल दिया।
निवर्तमान सांसद व कांग्रेस प्रत्याशी रघुवीर के राजनीतिक जीवन की शुरूआत सरपंच पद से शुरू हुई। खरबर में जन्मे व स्नातक रघुवीर 1988 में सरपंच चुने गए। उसके बाद वे कांग्रेस से जुड़े और ब्लॉक स्तर पर विभिन्न पदों पर रहे। युवक कांग्रेस ब्लॉक अध्यक्ष के बाद ब्लॉक कांग्रेस महामंत्री पद संभाला।
1998 में गहलोत सरकार में मंत्री व प्रदेश महासचिव रहे। 1993 से लगातार विधायक चुने जाते रहे। गत लोकसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें लोकसभा चुनाव में उतारा और जीते। पिता बीस साल तक विधायक रहे। बाद में हुए उप चुनाव में उनकी पत्नी बसंती देवी विधायक चुनी गई। वर्ष 2013 में बसंतीदेवी को ही मैदान में उतारा, लेकिन वे भाजपा के अमृतलाल के सामने टिक नहीं पाई। इसके बाद से ही पार्टी में भी रघुवीर के टिकट को लेकर असमंजस था।