उदयपुर। माहे रमजान यूं तो बरकत लेकर आता है, लेकिन इस बार रमजान खास संयोग लेकर रहा है। रमजान का पावन माह आज जुमे से शुरू हो रहा है और जुमे पर ही खत्म होगा। जुमे से शुरू हो रहे रमजान में इबादत का कई गुना सबाब बढ़ जाएगा। सादिक से लेकर सूर्यास्त तक चलने वाले रोजे में रोजेदार पांच वक्त की नमाज के साथ इबादत में समय बिताएंगे। विशेष महत्व रखने वाले रमजान के जुमे में मुख्य नमाज भी अदा करेंगे। यूं तो रमजान का जुमे से शुरू होना और खत्म होना खास मुकाम रखता है। लेकिन इस बार भी रमजान में पांच जुमे की नमाज अदा की जाएगी।
17 जुलाई को देखेंगे ईद का चांद
ईद का चांद 17 जुलाई को देखा जाएगा। पं. बंशीधर पंचांग निर्माता पं. दामोदर प्रसाद शर्मा बताते हैं कि प्रतिपदा का मान 17 जुलाई को सुबह 7.41 बजे तक रहेगा। इस कारण इस दिन चंद्र दर्शन होंगे।
70 गुना बढ़ जाएगा सवाब
पलटन मस्जिद के इमाम बताते हैं कि रमजान में जुमे में इबादत का 70 गुना सवाब मिलता है। जुमा बढऩे से अल्लाह की इबादत के लिए एक दिन और बढ़ जाएगा। जुमे की इबादत को लैलतुल कद्र से भी अफजल माना जाता है।
रमजान महीने के खास दिन
रमजान महीने के हैं तीन हिस्से रमजान इस्लामी महीने का 9वां महीना है। रमजान के महीने को और तीन हिस्सों में बांटा गया है। हर हिस्से में दस-दस दिन आते हैं। हर दस दिन के हिस्से को ‘अशराÓ कहते हैं जिसका मतलब अरबी मैं 10 है। रमजान को पूरा महीना ही वैसे तो मुबारक बरकतों वाला है। लेकिन इस महीने में कुछ खास दिनों का अलग महत्व है। इसी महीने में पवित्र पुस्तक कुरान आसमान से नाजिल हुई। तीसरे रोजे को बीबी फातिमा को याद किया जाता है, जिस दिन उनका इंतकाल हुआ था। बीबी फातिमा हजरत मोहम्मद साहब की सबसे लाड़ली बिटिया थी। 17 रमजान को इस्लाम के लिए लड़ी गई पहली जंग हुई, जिसको कई जगह जश्ने जंगे बद्र मनाया जाता है। इस महीने की सत्ताईसवीं शब को पूरी रात जागकर इबादत की जाती है।
रोजे का मायने : रोजे को अरबी में सोम कहते हैं, जिसका मतलब होता है रुकना या पाबंदी। बुराइयों से दूरी बनाना। रोजे में दिनभर सूर्योदय में पौ फटने से लेकर सूर्यास्त होने तक भूखा-प्यासा रहा जाता है। दुनिया की हर बुराइयों से दूरी बनी रहे इसके लिए, हर इच्छाओं पर नियंत्रित करना जरूरी है। यहां तक की किसी को गुस्से से चिल्लाना या मुंह से अपशब्द कहना के लिए सख्त मनाही है