बांसवाडा, राज्यपाल माग्र्रेट आल्वा सोमवार अल सुबह रक्तचाप एवं डायरिया रोग से ग्रसित हो गई। राज्यपाल के सोमवार को मानगढ धाम का कार्यक्रम निर्धारित था लेकिन अस्वस्थ होने के कारण उनका यह दौरा निरस्त करना पडा। आल्वा ने सुबह ९ बजे ज्ञापन लेने का समय भी निर्धारित किया था लेकिन अस्वस्थता के चलते ये ज्ञापन उनके एसीडी ने लिये। बताया जाता है कि राज्यपाल के स्वास्थ्य को लेकर चिकित्सकों का एक दल जयपुर से आया। कुछ देर बाद स्वास्थ्य में सुधार होने पर राज्यपाल ने शहर से ८ किलोमीटर दूर नाबार्ड द्वारा प्रायोजित एवं जीवीटी द्वारा संचालित कार्यक्रमों को करीब से देखा। राज्यपाल माग्र्रेट आल्वा के मन में ग्रामिणों से बातचीत करने की हुक सी लगी जिसके चलते उन्होंने टापरों यानि की आदिवासीयों के कच्चे मकानों, उनके रहन सहन के तौर तरिकों, शिक्षा और प्रगति के पथ को करीब से देखा। उन्होंने खलियानों में जाकर आधुनिक तकनीक से खेती करते जनजाति कृषकों की हौंसला अफजाई भी की। अपने दो दिन के कार्यक्रमों के दौरान श्रीमती आल्वा ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को श्रद्घा से याद किया और उन्होंने महिलाओं के उत्थान में राजीव भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनके कार्यकाल में ही महिलाओं की दशा में क्रांतिकारी परिवर्तन आया। राज्यपाल आल्वा ने सर्किट हाउस में अपनी रवानगी से पूर्व पत्रकारों से संक्षिप्त बातचीत में कहा कि इच्छा तो मेरी दूर-दूर के ग्रामीण क्षेत्रों में जाने की और मानगढ की पवित्र भूमि पर श्रद्घासुमन करने की थी लेकिन स्वास्थ्य खराब होने से वे जयपुर लौट रही है और अगली बार वे सीधे शहिदी मानगढ धाम आएगी।
नादानी पर जताया खेद : राज्यपाल माग्र्रेट आल्वा ने कुछ मिडियां कर्मियों पर नादानी पर खेद भी जातया ध्यान रहे कि एक समाचार पत्र (राष्ट्रदूत नहीं) में राज्यपाल को हिन्दी की जानकारी नहीं होने का समाचार प्रमुख्ता से प्रकाशित किया गया था। जबकि अपनी बांसवाडा यात्रा के दौरान न केवल हिन्दी में बातचीत ही वरन लोगों ये यह भी पूछा की समिपवर्ती गुजरात राज्य होने से गुजराती में तो बात नहीं करनी इसी तरह राज्यपाल से रविवार को अपने दौरे में महिलाओं की बदली परिस्थितियों का उल्लेख कहा था कि पहले महिलाएं घुंघट में रहती थी लेकिन अब वे घुंघट हटाकर विकास की मंजिले तय कर रही है। राज्यपाल से कहा कि उन्होंने सिर्फ इन बदले हालातों का चित्रण किया लेकिन एक मिडिया कर्मी से इसे उसके द्वारा घुंघट हटाने की बात प्रकाशित की जो तथ्यों से परे हैं।