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साल में एक बार होने वाले इस अलौकिक उत्सव के उल्लास में श्रद्धालु भी घंटों तक प्रभु की भक्ति का आनंद लेते रहे। इसके बाद मंदिरों को धोया गया। श्रीनाथजी में वैष्णवों ने धुलते मंदिर के दर्शन का भी सौभाग्य पाया। मंदिरों में श्रीकृष्ण के जन्म की बधाइयों का गान हुआ। चारभुजानाथ में पुजारियाें ने हरजस गाया। चित्र श्रीनाथजी मंदिर का है।