राजसमंद। जिला सेशन एवं सत्र न्यायाधीश ने साढ़े सात वर्षीय बालिक से दुष्कर्म के बाद उसकी जमीन पर पटक-पटक कर हत्या के आरोपी को सजा ए मौत दी है। राजसमंद जिला न्यायालय में फांसी की सजा का यह पहला मामला है। जिला एवं सेशन न्यायाधीश चंद्रशेखर आजाद ने अपने फैसले में कहा कि मासूम, विमंदित बालिका से दुष्कर्म और हत्या जघन्य अपराध है। अगर ऐसे अपराधी को सजा न मिली, तो समाज में आमजन का रहना मुश्किल हो जाएगा। न्यायालय के इस फैसले के बाद पूरे राजसमंद में खुशी का माहौल है और लोगों ने आतिशबाजी भी की।
मृत्युदंड के साथ ही न्यायालय ने दो लाख रुपए जुर्माना लगाया, जो बच्ची की मां को दिया जाएगा। अपरान्ह 3.15 बजे जिला एवं सत्र न्यायाधीश चंद्रशेखर आजाद ने सजा सुनाते हुए कहा कि ‘मुजरिम को तब तक फांसी के फंदे पर लटका रहने दिया जाए जब तक उसकी मौत न हो जाए। यह सुनकर कुछ देर के लिए अदालत में सन्नाटा छा गया, लेकिन बाद में इस न्याय पर लोगों ने संतोष प्रकट किया। इस दौरान पीडि़ता की मां, पिता, नाना, नानी के साथ छह साल की छोटी बहन भी मौजूद थी। जिला बनने के बाद राजसमंद में सजा-ए-मौत का यह पहला मामला है। अभियोजन पक्ष के अनुसार उत्तरप्रदेश में गोरखपुर और हाल कांकरोली निवासी आरोपी मनोज प्रताप सिंह (25) पुत्र सुरेंद्र सिंह को सजा सुनाई गई। इस घटना ने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया था। इस मामले में दुष्कर्म के बाद पत्थर पर पटक-पटक कर बच्ची की हत्या की गई थी। अब आरोपी को फांसी पर लटकाने का इंतजार है, लेकिन आरोपी की ओर से अपील की जा सकती है। सजा पर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से मंजूरी बाकी है। मामला दया याचिका के जरिये राष्ट्रपति तक भी पहुंच सकता है। सजा सुनते ही रो आरोपी मनोजप्रतापसिंह कटघरे में रो पड़ा।
दुष्कर्म और हत्या के आरोपी को सजा-ए-मौत
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