उदयपुर .अगर आप गुजरात से राजस्थान में जेसे ही प्रवेश करते है तो शुरू होता हे भरी भरकम टोल का सफ़र और राजधानी जयपुर जाते जाते 320 रुपया टोल का देना होता है । जयपुर से बाड़मेर (550 किलोमीटर) की यात्रा कार से करते हैं तो आपको टोल टैक्स 85 रुपए देने होंगे। वहीं, अगर दिल्ली (240 किमी) जाते हैं तो टोल टैक्स 240 रुपए देने होंगे। यानी, एक रुपया प्रति किलोमीटर। इतना ही नहीं, भरतपुर (180 किमी) जाने के 140 रुपए टोल देना होगा। अगर आप सड़क मार्ग से पूरे प्रदेश की यात्रा करें तो आपको 81 टोलों से गुजरना होगा और कम से कम 2100 रुपए टोल टैक्स चुकाना पड़ेगा।
नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) की बनाई सड़कों पर हर साल टोल टैक्स में बढ़ोतरी होती है। टोल प्लाजा पर वसूली का कोई हिसाब राज्य सरकार के पास नहीं है। ये टोल नाके ठेके पर निजी फर्मो को दिए हुए हैं।
एनएचएआई के चीफ जनरल मैनेजर पीआर पटेलिया के अनुसार टोल दर बढ़ाने के लिए थोक मूल्य सूचकांक को आधार बनाया जाता है। इससे 4 से 7 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हर साल होती है। प्रदेश में एनएचएआई के पांच राजमार्गो पर 23 स्थानों पर टोल लगता है।
पीडब्ल्यूडी, आरएसआरडीसी या रिडकोर की बनाई गई सड़कों पर टोल की दरें दो साल में 10 प्रतिशत तक बढ़ाने का प्रावधान है।
पीडब्ल्यूडी के मुख्य अभियंता (एनएच) आरके गुप्ता के अनुसार दो साल में बदली जाने वाली दरों का अगला बदलाव अप्रैल, 2013 के गजट नोटिफिकेशन से होगा।
पीडब्ल्यूडी के पीपीपी मॉडल में दी सड़कों में टोल की दर विभाग तय करता है, लेकिन आय का ब्यौरा नहीं रखता। रिडकोर और राजस्थान स्टेट रोड डवलपमेंट कॉपरेरेशन (आरएसआरडीसी) की बनाई सड़कों और मेगा हाइवे पर टोल वसूली और इसकी पूरे होने की अवधि का हिसाब ही राज्य सरकार के पास होता है।
महाराष्ट्र की जनता को टोल ठेकेदार रोज देता है हिसाब
महाराष्ट्र का नियम : रोज पैसा दे रहे हैं तो रोज हिसाब भी क्यों न लें
जून 2012 तक महाराष्ट्र में भी किसी टोल पर यह हिसाब नहीं लिखा जाता था। इसके बाद महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने आंदोलन किया और सभी टोल पर डिजिटल डिस्प्ले में टोल के रोज का हिसाब दर्शाने की मांग की। अब वहां अधिकतर नाकों पर ये डिजिटल बोर्ड लग गए हैं, जिन पर हर वक्तअब तक की वसूली और टोल की बकाया राशि का डिस्प्ले होता रहता है। जिस दिन बकाया राशि खत्म, उसी दिन से टोल नाका भी खत्म।
गौरतलब है कि राजस्थान की तरह वहां भी टोल वसूली पूरी होने के बाद भी कई नाकों पर टैक्स वसूला जाता था। इस प्रक्रिया के बाद ऐसे कई टोल नाके बंद हो गए। पीडब्ल्यूडी के प्रमुख सचिव जेसी महांति कहते हैं- राजस्थान टोल ठेकेदारों के साथ ऐसी कोई शर्त नहीं है। महाराष्ट्र से हम इस बारे में रिपोर्ट पता करवाते हैं। अगर फिजिबल हुआ तो इसे यहां भी लागू कर सकते हैं।