हिन्दुस्तान में सबसे मंहगी बिजली राजस्थान में है – सरकार के गड़बड़ झाले से जनता को लग रहा है करंट .

Date:

bijali

उदयपुर । प्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं पर सरकार की मार लगातार बढ़ती जा रही है। अगर पड़ोसी राज्यों से तुलना की जाए तो राजस्थान इकलौता ऐसा प्रदेश बन गया है, जहां मध्यमवर्ग के परिवारों को भी लगभग 7 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से बिल का भुगतान करना पड़ रहा है।

नए आदेशों के अनुसार को सितम्बर माह से बिजली उपभोग राशि का भुगतान नई दरों से करना होगा। बिजली कंपनियों ने गठन के बाद सातवीं बार बिजली दरों में बढ़ोतरी की है। यही नहीं पड़ोसी राज्यों में तुलना में प्रदेश में बिजली दरों में प्रदेश अव्वल नंबर पर आ गया है।

बिजली दरों के मामले में पड़ोसी राज्यों में श्रेणीवार बिजली दरों की तुलना में प्रदेश में बिजली दरें सर्वाधिक हो चुकी हैं और बिजली कंपनियों के वित्तीय घाटे में हो रही लगातार बढ़ोतरी व उदय योजना में मिले अनुदान की शर्तों के अनुसार बिजली कंपनियों को मिली छूट से आगामी समय में फिर से बिजली दरों में बढ़ोतरी होना भी लगभग तय है।

गलती कंपनियों की, भुगते जनता

बीते कुछ वर्षों में बिजली कंपनियों ने विद्युत उत्पादन कर रही कंपनियों से महंगी दरों पर बिजली खरीद की, जिसके चलते करोड़ों रुपए का अतिरिक्त भार कंपनियों पर पड़ा है। वहीं अब घाटे और वित्तीय भार की भरपाई कंपनियां प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं से कर रही हैं। प्रदेश में राष्ट्रीय औसत से ज्यादा दरों पर हो रही बिजली खरीद बिजली कंपनियों के संचित घाटे को बढ़ा रही है वहीं छीजत और चोरी रोकने में नाकाम रही बिजली कंपनियों ने घाटे की भरपाई बिजली उपभोक्ताओं पर डालने की कार्यशैली अपना ली है।

छीजत- चोरी ने बढ़ाया घाटा 

प्रदेश की बिजली वितरण निगमों में अब भी बिजली छीजत का ग्राफ 25 से 35 फीसदी तक बना हुआ है वहीं बिजली चोरी मामले में कई जिलों में छीजत 35 फीसदी तक रही है। राज्य सरकार के निर्देशों के बावजूद बिजली कंपनियां चोरी व छीजत रोकने में प्रभावी कार्रवाई करने में नाकाम रही हैं। इसके उलट बिजली कंपनियों ने चोरी छीजत पर लगाम कसने के लिए संबंधित क्षेत्र के अभियंताओं के वेतन भत्ते में कटौती की तलवार भी लटकाई लेकिन नतीजा सिफर रहा है।

सस्ती बिजली उपलब्ध लेकिन महंगी दरों से किया भुगतान

प्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं की अनुदानित श्रेणी कृषि व घरेलू है और इनका हिस्सा क्रमश: 42 व 21 फीसदी है, वहीं देश में यह 23 व 24 फीसदी है जिसके चलते विद्युत लागत और राजस्व में अंतर ज्यादा रहा है। वहीं वर्ष 2005 में पड़ोसी राज्यों से? बिजली खरीद जहां 2.09 रुपए प्रति यूनिट रही, वहीं बिजली कंपनियों ने वर्ष 2008 में 8.83 रुपए प्रति यूनिट से बिजली खरीद कर कम दरों पर बिजली सप्लाई कर घाटे को बढ़ाया है।

फीडर रिनोवेशन प्रोजेक्ट हुआ फेल 

प्रदेश में बिजली चोरी, छीजत कम करने की गरज से बिजली कंपनियां बीते पांच साल में करीब तीन हजार करोड़ रुपए से ज्यादा राशि खर्च कर चुकी हैं लेकिन फिर भी कई जिलों में बिजली छीजत का आकंड़ा 25 फीसदी से ज्यादा बना हुआ है। बिजली कंपनियों ने छीजत बीस फीसदी से कम करने का लक्ष्य तय किया था जो कुछ जिलों में शहरी इलाकों को छोड़कर अब तक अधूरा रहा है।

पड़ोसी राज्यों की तुलना में पहले नंबर पर है प्रदेश 

राज्य                               खपत              यूनिट तक दर 

मध्य प्रदेश                         100                5.06 रुपए

गुजरात                             100                 4.24 रुपए

पंजाब                                100                5.21 रुपए

महाराष्ट्र                             100                 6.10 रुपए

ओडिशा                            100                 3.95 रुपए

कर्नाटक                            100                 4.56 रुपए

बिहार                               100                  3.85 रुपए

छत्तीसगढ़                         100                 3.83 रुपए

राजस्थान                         100                 6.10 रुपए  (नई दर से)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Subscribe

spot_imgspot_img

Popular

More like this
Related

Lucky Creek Gambling establishment Is it Legit and you can Secure?

ArticlesLucky Creek Casino AppIs actually Lucky Creek Casino legitimate? I've...

Finest fifty: Miley Cyrus Naked Pussy & Boobs Pictures 2025

I question if it’s the brand new reasoning behind...

Kasyno Online Paypal 2024

Jesteś zobligowany wszystko szczegółowo zweryfikować, żeby czegoś ważnego nie...

Jak wyselekcjonować kasyno przez internet Poradnik po kasynie

ContentNa czym polega złudzenie przy kasynieWykorzystaj do kupienia bonusy...