उदयपुर। राजस्थान साहित्य अकादमी में न केवल वित्तीय अनियमितताएं हुई है, वरन इस पवित्र संस्था के जरिए बेरोजगारों की भावनाओं से भी खिलवाड़ किया गया है। आरोप तो यहां तक है कि अकादमी के कर्ता-धर्ताओं ने बेरोजगारों से धोखाधड़ी करते हुए उन्हें सरेआम लूटा है।
बताया गया है कि अकादमी की ओर से आधा दर्जन पद शिक्षित बेरोजगारों के लिए विज्ञापित किए गए, जिनकी राज्य सरकार से कोई स्वीकृति प्राप्त नहीं थी। ये पद हैं-उपसचिव, प्रकाशन अधिकारी, कार्यक्रम अधिकारी, प्रकाशन सहायक, कनिष्ठ लिपिक और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी। यह विज्ञापन ३० अगस्त, २०१३ को प्रचारित-प्रसारित किया गया। इसके लिए आवेदन पत्र अकादमी की वेबसाइट
222.ह्म्ह्यड्डह्वस्रह्म्.शह्म्द्द पर उपलब्ध कराए गए।
साथ ही आवेदकों से तीन सौ रुपए का डिमांड ड्रॉफ्ट अकादमी के पक्ष में मांगा गया। एससी, एसटी, ओबीसी एवं निशक्त जन श्रेणी वाले आवेदकों के लिए यह राशि १५० रुपए रखी गई। आवेदन की अंतिम तिथि ३० सितंबर २०१३ थी। सैंकड़ों आवेदन प्राप्त हुए, जिनके साथ मिले डिमांड ड्राफ्ट अकादमी के खाते में जमा हो गए। विज्ञापन में यह उल्लेख किया गया कि उक्त सभी पदों पर नियुक्तियां राजस्थान सरकार जयपुर से बजट प्रावधान स्वीकृत होने के बाद ही की जाएगी। यानि जो पद सरकार द्वारा स्वीकृत ही नहीं थे और जिनका बजट में कोई प्रावधान ही नहीं है, उन्हें विज्ञापित करके बेरोजगारों से भारी भरकम राशि आवेदन शुल्क के नाम से बटौरी गई। अकादमी की खराब नीयत तो उसी समय सामने आ गई, जब विज्ञापन में यह लिखा गया कि क्रआवेदन शुल्क वापसी योग्य नहीं है।ञ्ज समझा जाता है कि अध्यक्ष द्वारा प्रतिमाह ३९ हजार रुपए अवैधानिक रूप से उठाए जाने को समायोजित करने के लिए बेरोजगारों को लूटा गया। अध्यक्ष ने करीब ढाई लाख रुपए वेतन-भत्तों के रूप में उठाए है, जिन्हें सरकार ने स्वीकृति देने से इनकार कर दिया है। अकादमी के पूर्व कोषाध्यक्ष शरतचंद्र भी इस भ्रष्टाचार में शामिल पाए गए हैं, जो चैक जारी करने में शामिल है। अकादमी सचिव का कहना है कि उनकी आपत्तियों को नहीं माना गया और उन्हें हस्ताक्षर करने के लिए बाध्य किया गया।
साहित्य अकादमी ने की बेरोजगारों से धोखाधड़ी
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