कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी राजस्थान में अपने चुनाव प्रचार अभियान के दौरान अजमेर में सूफ़ी संत ख़्वाजा मोइनउद्दीन चिश्ती की दरग़ाह और पुष्कर के ब्रह्मा मंदिर पहुंचे.
अजमेर में राहुल गांधी ने सचिन पायलट और अशोक गहलोत के साथ चादर चढ़ाई और चुनावों में कांग्रेस की जीत के लिए दुआ मांगी.
वहीं पुष्कर के ब्रह्मा मंदिर में राहुल गांधी ने पूजा की. इस दौरान उन्होंने अपना गोत्र भी बताया. राहुल ने अपना गोत्र कौल दत्तात्रेय बताया है. यानी उन्होंने अपने आप को कश्मीरी पंडित बताया है.
राहुल गांधी के अपना गोत्र बताने पर सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं आ रही हैं.
कांग्रेस की प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने ट्वीट किया, “बेल लेकर पर जेल के बाहर रहने वाले संबित भैया, अब मुद्दा हीन हो गए! अब 2019 किस बात पर प्रेस कांफ्रेंस करेंगे? भक्तों बजाओ ताली!”
भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने एक प्रेस वार्ता में राहुल गांधी का गोत्र पूछा था.
वहीं माकवान नाम के एक यूज़र ने ट्विटर पर लिखा, “ये क्या हो रहा है? शिक्षा, काबिलियत बताने की बजाय आज गोत्र बताना पड़ रहा है. इस मानसिकता से देश की तरक्की नही होने वाली.”
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मध्य प्रदेश में चुनाव प्रचार करते हुए राहुल गांधी के मंदिरों में जाने को पाखंड कहा है. योगी आदित्यनाथ ने कहा था, “राहुल मीडिया को बता रहे हैं कि वह जनेऊ पहनते हैं. लेकिन हमारे धर्म में मंदिर जाने के लिए जनेऊ पहनना कोई अनिवार्य शर्त नहीं है और कोई भी हिंदू मंदिर जा सकता है. राहुल जनेऊ धारण करें या न करें, यह उनकी इच्छा. लेकिन उनका जनेऊ दिखाना हमारी वैचारिक विजय है.”
पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का नाम लिए बिना आदित्यनाथ ने कहा था, “राहुल के परनाना कहते थे कि वह हिंदू परिवार में दुर्घटनावश पैदा हो गए. ऐसे में राहुल ने कम से कम स्वीकार तो किया कि वह जनेऊ धारण करते हैं. हालांकि, जनता को ऐसे छद्मभेषी लोगों से सावधान रहने की जरूरत है.”
वहीं नीतेश सिन्हा नाम के एक यूज़र ने लिखा, “जय हो मोदी जी. कम से कम राहुल गांधी जी को अपना गोत्र पता चल गया. अच्छे दिन आ चुके हैं.”
स्थानीय संवाददाता नारायण बारेठ के मुताबिक, “पुष्कर के तीर्थ पुरोहित अपने जजमानों का लेखा जोखा रखते हैं जिसमें वंशावली का उल्लेख भी होता है. और उसी में राहुल के तीर्थ पुरोहित ने उनका गोत्र बताया और राहुल ने इस गोत्र को बोलकर बताया.”
राहुल गांधी की जाति को लेकर राजनीतिक सवाल उठते रहे हैं. उन्होंने अपने गोत्र में अपने आप को कश्मीरी ब्राह्मण बताकर समाज को इन्हीं सवालों का जबाव देने की कोशिश की है.
बारेठ कहते हैं, “राजस्थान में ब्राह्मण राजनीतिक रूप से प्रभावशाली हैं. राहुल ने अपने ब्राह्मण होने का ज़िक्र करके इन मतों को प्रभावित करने की कोशिश भी की है जिसका उनकी पार्टी को राजनीतिक फ़ायदा हो सकता है.”
राहुल गांधी ने धर्मस्थलों के अपने दौरों को राजनीति से जोड़कर न देखने की बात की है. लेकिन विश्लेषक उनके इन दौरों के राजनीतिक मतलब तलाश रहे हैं.