पहाडो पर चढे:
आदिवासी युवकों और युवतियों की राहुल को देखने और उनका भाषण सुनने के प्रति ऐसी दीवानगी दिखी कि पांडाल में जगह नहीं मिलने पर युवक-युवतियां पास के पहाड पर चढे गये और भीड पूरे पहाडों चढे बैठी रही। जिसको देख राहुल गांधी भी खुश हुए और उन्होंने अपने भाषण में तीनबार पहाड पर बैठे लोगों का अभिवादन किया।
मालवीया ने खेला गैर:
जनजाति विकास राजमंत्री महेन्द्रजीत सिंह मालवीया ने कार्यक्रम के दौरान मंच के संचालन की बागडोर संभाली। कार्यक्रम के दौरान दौरान वागड और अपने क्षेत्र से आये आदिवासी कार्यकर्ताओं के साथ उन्होंने जमकर गैर नृत्य किया। काफी देर तक मालवीया विशेष अंदाज में ढोल बजाते रहे और आदिवासी युवकों के साथ गैर नृत्य करते रहे। बाद में उन्होंने खुद भी ढोल के साथ गैर नृत्य किया।
तीन घंटे तक जाम:
सभा समाप्त हो जाने के बाद बसों और छोटे वाहनों का आसपुर रोड पर करीब तीन घंटे जाम लगा रहा। सलूम्बर अंदर से बसों के लिये एक तरफ़ा रोड का बाईपास दिया था जहां ट्राफिक व्यवस्था गडबडा जाने से पार्किंग में बसे आमने-सामने हो गई और वाहन तीन घंटे तक जाम में फंसे रहे। आगे उदयपुर रोड मार्ग पर भी बसों का भारी जाम लग गया जो करीब ४५ मिनट बाद सुचारू हुआ।
शान से पहनी मेवाडी पाग:
राहुल गांधी ने पांडाल में प्रवेश करते ही सेवादल ने नेहरू टोपी पहनाकर ’गार्ड ऑफ ऑनर’ दिया। बाद में सभी मेवाड वागड के स्थानीय नेताओं से मिले और उनसे गुफ्तगू की। प्रदेश सचिव वीरेन्द्र वैष्णव ने उन्हें लाल चमकदार मेवाडी पाग पहनाई। जिसकी राहुल ने तारीफ़ की। मंच पर भी सांसद रघुवीर मीणा ने उनका मेवाडी पगडी पहनाकर स्वागत किया तो वागड से आये बांसवाडा-डूंगरपुर सांसद ने आदिवासियों का प्रतिक चिन्ह तीर कमान भेंट कर स्वागत किया।
पानी पर झपटे वीआईपी:
भीषण गर्मी में पूरे पांडोल में पानी की कहीं कोई व्यवस्था नहीं थी। घंटो से बैठे मीडियाकर्मी और वीआईपी इधर-उधर पानी की व्यवस्था को टटोलते रहे। जैसे ही कार्यकर्ता एक डिब्बा पानी की बोतल लेकर आए सभी वीआईपी अपनी कुर्सी छोड पानी की बोतलों पर झपट प$डे और आपस में ही छीनाझपटी करने लगे। इसके बावजूद पानी की उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण कई वीआईपी को प्यासा ही रहना पडा।
लोगों में उत्साह देखने लायक: राहुल गांधी की सभा में आने वालों लोगों का उत्साह देखने लायक था। सभा में आते वक्त जीपों, बसों, मिनी बसों के ऊपर तक लोग बैठे हुए थे। जो हाथों में कांग्रेस का झंडा लहराते और ढोल बजाते रहे। वागड से आने वाले तो अपनी मस्ती में अपनी पारंपरिक आदिवासी अंचल के गीत गाते हुए आये। बसों की पार्किंग कार्यक्रम स्थल से करीब ३ किमी दूर की गई थी जहां से लोग पैदल ढोल की थाप पर नृत्य करते हुए सभास्थल पर पहुंचे। वहीं आस-पास के ग्रामीण को सभा एवं राहुल को देखने करीब १० से १२ किमी पैदल चलकर आए। सभा समाप्त होने के बाद सभा स्थल से सलूम्बर चौराहे तक सडक पर लोग ही लोग नजर आ रहे थे।