राहुल गांधी ने ब‍िजनेसमैन और प्रोफेशनल्‍स के सवालों के जो जवाब द‍िए, उसे आप भी जरूर सुनना चाहेंगे

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Udaipur Post कांग्रेस के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष राहुल गांधी का शनिवार को आरसीए काॅलेज सभागार में संवाद कार्यक्रम आयोजित हुआ। राहुल गांधी ने शहर के चुनिंदा 400 लोगों में व्यापारी,डाॅक्टर,अधिवक्ता,स्टूडेंट और युवाआेें से संवाद क‍िया। लोगों के सवाल और राहुल के जवाब
उद्योगपति केएस मोगरा : छह करोड़ व्यापारियों की तरफ से बोल रहा हूं, उनको कोई धणीधोरी नहीं है, हमारे नीतिगत निर्णय मिनस्ट्री ऑफ इंटरनल ट्रेड देश के साथ राज्यों में भी हो
जवाब राहुल : हिन्दुस्तान के बैंकिंग सेक्टर में 12 लाख करोड़ एनपीएज है आज, पिछले तीन चार साल में मोदी सरकार ने 3 लाख 50 हजार करोड़ रुपए कर्जा माफ किया है, बारह और साड़े तीन लाख कितने लोगों का कर्जा है, राहुल बोले 15 से 20 लोगों का, अनिल अम्बानी 45000 करोड़, एक नरेगा को चलाने में 35000 करोड़ साल में लगते है, नीरव मोदी35000 करोड़, मेहुल चौकसी, विजय माल्या 10 हजार करोड़ रुपए है,  गब्बर सिंह टेक्स हिन्दुस्तान की रीढ़ की हड्डी को तोडऩे का तरीका था, इसलिए तोड़ रहे कि बड़े 15 उद्योगपतियों को अंदर घूसने का रास्ता मिले, यह सच्चाई है।
प्रो. तराना परवीन, एमजी कॉलेज: सवाल: आज हमारे देश की कई यूनिवसिर्टीज में आदर्श बहू के कोर्सेस चलाए जा रहे हैं लेकिन जरूरत ऐसे कोर्सेस की नहीं बल्कि महिला सशक्तिकरण के कोर्सेस कॉलेजेज व यूनिवर्सिटीज में चलाए जाने की आवश्यकता है, को-एजुकेशन और गल्र्स कॉलेजेज दोनों में। ऐसे कोर्सेस को कम्प्लसरी किए जाने की जरूरत है ताकि वे अपने बारे में सोच सकें। लड़कियों को सोचने की आजादी हो, वे अपने हिसाब से कदम उठा सकें, उनके घर में पिता या भाई उन्हें गाइड ना करें कि किस पार्टी को वोट करना है। अल्पसंख्यक स्कॉलरशिप बंद कर दिए गए हैं जो कि दु:खद है। लड़कियों ने फॉम्र्स भरने बंद कर दिए हैं। ऐसे कोर्सेस बंद कर के क्या आप महिला सशक्तिकर
जवाब- इस बारे में मैं बहुत स्पष्ट हूं। बिना महिला सशक्तिकरण के हम अपना समय बर्बाद कर रहे हैं। ये इसलिए नहीं कि महिलाएं 50 प्रतिशत हैं इसलिए उन्हें सशक्त करने की जरूरत है। बल्कि महिलाएं बहुत सेंसिटिव हैं, केयरिंग की भावना पुरुषों से ज्यादा होती है। उनमें कुछ अधिक ताकत हैं। महिलाएं नेतृत्व मेंं होने चाहिए, संसद में, कंपनी के उच्च पदों पर, यूनिवर्सिटीज, कॉलेजेज में सभी जगह होनी चाहिए। हम झांसी की रानी का सम्मान करते हैं, लेकिन हम अपनी महिलाओं को बोलते हैं कि उसकी तरह मत बनो। ये केंद्र में जो बीजेपी सरकार है उसका अंतर्विरोध है।
प्रो. संजय लोढ़ा- सवाल – आम्र्ड फोर्सेस के जो चीफ हैं , वो पॉलिटिकल में प्रवेश कर रहे हैं। वे सर्जिकल स्ट्राइक के बारे में बोल रहे हैं, वे राफेल डील के बारे में बोल रहे हैं। आर्मी को हमेशा से अलग रखा जाता था, लेकिन आज वे राजनीति में प्रवेश कर रही है। आपकी पार्टी इस बारे में क्या करेगी कि आम्र्ड फोर्सेस पॉलिटिक ल एरीना में प्रवेश नहीं करे।
जवाब : नरेंद्र मोदी आम्र्ड फोर्सेस से मिलते हैं, उनके पास जाते हैं और उन्हें वैसा करने को कहते हैं जैसा वे चाहते हैं। उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक को रूप दिया। ये आर्मी का डिसीजन नहीं था। वे उन्हें करने के लिए जैसा बोलते हैं, आर्मी वैसा करती है। जबकि राजनीति का आर्मी में कोई दखल नहीं होना चाहिए, इससे उन्हें दूर रहना चाहिए। अगर आर्मी बोलती है कि हमें ऐसा करना है तो हमें उनके निर्णय का सम्मान करना चाहिए। वो हमसे ज्यादा जानते हैं कि क्या करना है। ये प्रधानमंत्री के दिमाग में है कि वे आर्मी से ज्यादा जानते हैं कि उन्हें क्या करना चाहिए। उन्हें लगता है कि पूरा का पूरा ज्ञान उनके दिमाग से निकलता है। रात को 12 बजे नोटबंदी करते हैं और कैबिनेट को कुछ पता नहीं था, क्योंकि उन्हें लगता है कि सारा ज्ञान उनके पास है। जबकि मैं यहां समझने आया हूं। मुझे लगता है कि ये लोग मुझसे ज्यादा जानते हैं।
डॉ. आनंद गुप्ता: भारत की सवा सौ करोड़ की जनता में हम डॉक्टर्स 15 लाख हैं, वोट बैंक ना होने के कारण भी क्या हम आपके लिए महत्व रखते हैं?
जवाब: मैं आपको बताता हूं कि आप महत्व इसलिए रखते हैं कि हैल्थ केयर आज सबसे बड़ी जरूरत है देश की। अगर मेरा देश दर्द में है तो कौन उसकी मदद करेगा। डॉक्टर्स और टीचर्स बहुत महत्व रखते हैं। राजनीतिक तौर पर आप अपनी बात को भले ही नहीं रख पाते हैं लेकिन आपके पास राजनीतिक ताकत है और मुझे ये समझने की जरूरत है। वोट बैंक को ओवर एस्टीमेट ना करें। सभी दलित समान तौर पर वोट नहीं देते, अल्पसंख्यक नहीं करते और ना ही अपर क्लास करता है। वोट बैंक पावरफुल नहीं है जबकि मेरे लिए पावरफुल है कि आप लोगों का सम्मान करें, आप उनकी सुनें और उनकी मदद करें।

छवि जैसी गढ़ी है भाजपा ने राहुल की उससे अलग और परिपक्व लगे

सुविवि में राजनीति विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. संजय लोढ़ा ने बताया बीजेपी राहुल की एक छवि प्रस्तुत करती रही है जिससे लगे कि वे अपरिपक्व हैं। चीजों को समझते नहीं हैं। पर जिस विश्वास, ज्ञान, आत्मीयता से राहुल ने सभी लोगों के प्रश्नों के जवाब दिए, वे राजनैतिक रूप से काफी परिपक्व हैं।

लोकसंवेदना की काफी समझ है राहुल में

सुविवि में संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. नीरज शर्मा ने बताया कि लोकतंत्र में राजनेताओं के लिए लोक संवेदना की पकड़ और समझ होना बहुत जरूरी है। राहुल के संवाद में यह देखने को मिला।

संवाद में उनकी सोच और विजन काफी व्यापक

सुविवि के लोक प्रशासन विभाग के असि. प्रोफेसर डॉ. गिरिराज सिंह चौहान ने बताया संवाद में उनकी सोच और विजन गहरा और व्यापक लगी। वे देश का नेतृत्व करने को तैयार लगते हैं। काफी भिन्न और विजनरी लगे।

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