उदयपुर पोस्ट.आप सालो साल अपनी मेहनत की कमाई किसी बैंक में जमा करे,एक अच्छी खासी रकम जमा हो जाने के बाद या मच्योरिटी के समय और अचानक आपको पता चले की न तो यहाँ बैंक है ना हीं वो बैंक मेनेजर साहब के कोई अते पते हैं तो आप क्या करेंगे ?चोक गए न आप लेकिन आजकल छोटे गावो कस्बो ,ढानियों में बैंक की सुविधा के अभाव में मिनी बैंक संचालित हो रहे हैं इन बैंक्स में भोले भले गरीब और मजदूर वर्ग के लोग अपनी म्हणत का पैसा ये सोचकर जमा कर देते है की आगे चलकर उनके या उनके बच्चों के काम आएगा। काया बारापाल और आस पास के गावो के कुछ लोगो के साथ मिनी बैंक के नाम पर धोखा हुआ है यहाँ कई सालो से अरुण मीना नाम के व्यक्ति ने मिनी बैंक संचालित कर लोगो से पैसे लेकर जमा किये हैं परन्तु अब जब ये लोग अपने पैसे वापस मांग रहे हैं तो न तो बैंक खुल रहा है और न ही मेनेजर साहब का कही कोई पता मिल रहा है। पहले तो उन्हें ये आश्वासन भी मिल गया था की बैंक खोल रहे हैं परन्तु बात वही की वही ,उनसे संपर्क करने पर मोबाइल नंबर स्विच ऑफ आता है। अब इन ग्रामवासियों को समझ नहीं आता की ये जाये तो कहा जाये। गोवेर्धन विलास थाने में शिकायत करने पहुचे तो शिकायत दर्ज नहीं की ऐसा ग्रामवासियों का कहना है। थक हार कर इन्होने सीबीसी न्यूज़ को अपनी पीड़ा बताई एवं सोमवार को करीब ३० लोगो ने मिलकर सारे कागज़ और खातो की कॉपी लेकर एस पी कैलाश चन्द्र विश्नोई के सामने अपनी समस्या रख दी है। समस्या को लेकर एस पी कैलाश चन्द्र विश्नोई ने पूर्ण अनुसन्धान के बाद ही कुछ कहने की बात कही। सम्बंधित ठाणे को अग्रिम अनुसन्धान के लिए कहा जायेगा उसके बाद ही पता चलेगा की इन ग्रामीणों को न्याय मिलेगा या इनकी जुटाई हुई पाई पाई इन्हें वापस मिलेगी या नहीं। ये लोग शहरी लोगो की तरह स्मार्ट और टेक्निकली नहीं होते ये नहीं जानते की ऐसे बैंक, किस विभाग या किसके अधीन ये मिनी बैंक संचालित हो रहे है या इनकी प्रमाणिकता क्या है। क्या गारंटी है इनमे जमा करवाए गए पैसो की और अगर उनको ये पैसा नहीं मिला तो वे लोग कहा जायेंगे न्याय के लिए किसका दरवाजा खात्खातेंगे या किसके सामने गुहार लगायेंगे। कोरोना ने वैसे भी सबकी हालत खराब कर रखी है। हर कोई आर्थिक समस्याओ से जूझ रहा है ऐसे में जमापुंजी भी अगर नहीं मिले तो ये गरीब लोग कहा जायेंगे।
गाँव में संचालित हो रहे मिनी बैंक की शाखा पर प्रश्नचिन्ह
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