उदयपुर में प्रधानमंत्री आवास योजना के 19 हजार आवेदकों का रिकाॅर्ड नगर विकास प्रन्यास से हुआ गायब, दर – बदर भटक रहे आवेदक .

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उदयपुर .प्रधानमंत्री आवास योजना के 19 हजार आवेदकों का रिकाॅर्ड नगर विकास प्रन्यास से गायब हो गया है . आवेदक दर – बदर भटक रहे है . खुद भाजपा के ही एक गुट ने ही नगर विन्यास की कार्यशेली पर सवाल उठाया है.
भाजपा के ही कार्यकर्त्ता ने ललित मेनारिया ने प्रधानमंत्री आवास योजना में अपना आवेदन निरस्त होने पर सवाल खड़े करते हुए लाभान्वित और निरस्त फ़ार्म की सूचना आर टी आई के तहत मांगी तो पहले तो यु आई टी ने आना कानी कि . लेकिन बाद में भी घुमा फिराकर जवाब दिया गया ! युआइती 10605 लाभान्वितों की सूची तो सःशुल्क देने को तैयार हो गया, लेकिन 19 हजार निरस्त आवेदकों की सूची का कोई रिकॉर्ड नहीं होना कहकर फिर पल्ला झाड़ लिया। सवाल उठता है कि आज के डिजिटल जमाने मे जहां बड़े – बड़े डाटा संग्रहित करना आसान है वहीं न्यास कुछ पेज की सॉफ्ट कॉपी भी संग्रहित नही कर पाई। यह कैसे संभव है, बहरहाल अब ललित मेनारिया शहरी विकास एवं आवासन सेवक श्रीचंद कृपलानी से मिलकर अपनी दास्तानं सुनाएंगे और न्याय की गुहार लगाएंगे। मेनारिया ने कहा कि मुझे विश्वास है कि न्यायलय तक जाने की जररूत नहीं पड़ेगी। मैं नियमों के अनुरूप पूर्ण रूप से योग्य हूँ तथा जन सेवक कृपलानी भी बड़े दिल वाले हैं और मेरी पीड़ा समझने की कोशिश करेंगे।
गौरतलब है कि उदयपुर की भारतीय जनता पार्टी में गुटबाजी अपने चरम पर है और इसके लिए जिम्मेदार कर्ताधर्ता किसी भी हद तक जाने में भी कोई कुरेज नहीं करते हैं. ललित मेनारिया का भी मामला पुराना है जो अब फिर चर्चा का विषय बन गया है . नगर विकास प्रन्यास, नगर निगम और स्वर्गीय भैरूसिंह षेखावत स्मृति मंच के बीच प्रधानमंत्री आवास योजना की लोटरी को लेकर खिचातानी काफी अरसे से चल रही है. प्रधानमंत्री आवास योजना की लॉटरी में विवादित प्रथम चरण के बाद द्वितीय चरण और तृतीय चरण भी बीत गया। वहीं आखिरी चरण में लाभान्वितों की लॉटरी भी निकल गई। परंतु पहले ही चरण में बिना किसी सूचना और मापदण्ड के 29 हजार से अधिक आवेदनों में से निरस्त लगभग 19 हजार आवेदक अभी भी उम्मीद लगाए बैठे है। मंच के ही ललित मेनारिया ने इसे सूचना के अधिकार के तहत पिछले छः माह से सवालों के घेरे में खड़ा कर रखा है। मेनारिया इसके लिए कभी मीडिया तो कभी वरिष्ठ अधिवक्ताओं से मिले तो कभी भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारियों की शरण में भी गए। इस दौरान तीन बार आरटीआई लगाकर न्यास से जवाब भी मांगे पर सन्तुष्ट नहीं हो पाए। गौरतलब है कि साल 2016 में न्यास ने नगर निगम को आवेदन लेने और सर्वे कराने का काम सौंपा था। निगम ने पार्षद राकेश पोरवाल को प्रभारी नियुक्त कर वार्डवार आवेदन लिए। इस सर्वे के दौरान करीब 29 हजार आवेदनों में से लगभग 19 हजार आवेदन बिना किसी मापदण्ड के निरस्त कर दिए गए। इसके बाद से ही शेखावत मन्च के मीडिया प्रभारी मेनारिया ने अपना आवेदन निरस्त करने पर सवाल खड़ा कर दिया। इस दौरान न्यास पर गुटबाजी के आरोप लगे तो मानो शहर में भूचाल आ गया। मेनारिया ने प्रथम चरण की छंटनी की पद्धति पर सवाल कर न्यास को ही कटघरे में खड़ा कर दिया। मेनारिया ने प्रभारी राकेश पोरवाल से भी जानकारी चाही पर सन्तुष्ट नहीं हो पाए। एक – एक कर तीन बार सूचना के अधिकार का प्रयोग किया और अपना आवेदन निरस्त करने के कारण, जाँच करने वाले अधिकारियों की जानकारी, लाभान्वितों की सूची मय पता आदि की जानकारी भी मांगी। इस पर न्यास ने कभी अधूरी जानकारी देकर पल्ला झाड़ा तो कभी मकान पहले से होना भी बता दिया। संघर्ष की इस कहानी में मेनारिया के लिए पूर्व विधानसभा अध्यक्ष शांति लाल चपलोत, वरिष्ठ अधिवक्ता एवं गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया के समधि रोशन लाल जैन और पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष मांगी लाल जोशी मुस्तैदी से पैरवी करते नजर आए। चपलोत ने प्रधानमंत्री आवास योजना के न्यायालय में चले जाने की आशंका बताई तो अधिवक्ता जैन ने इसे इरादतन और गुटबाजी का परिणाम बताया। मांगी लाल जोशी ने तो इतना तक कह दिया कि बड़े घोटाले की बू आ रही है। वार्ड 22 में डिमांड सर्वे में नाम नही होना बताकर न्यास की मामले से भागने की कोशिश उस समय फिर असफल हो गई जब मेनारिया ने तीसरी बार आर टी आई लगाई। इस सारे मामले को लेकर सर्वे प्रभारी और पार्शद राकेष पोरवाल ने गुटबाजी से इनकार करते हुए कहा कि ललित मेनारिया का आवेदन किसी भी गुटबाजी को लेकर निरस्त नहीं हुआ। वह जरूर इस सर्वे में षामिल रहे है, लेकिन राजस्थान सरकार ने टेण्डर प्रक्रिया के तहत एक ऐजेंसी को सर्वे के लिए नियुक्त किया था और उसी सर्वे के अनुसार यह प्रक्रिया पूरी हुई है।

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