महंगाई को थामने की कोशिशें में जुटे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए आलू की बढ़ती कीमतें मुसीबत का कारण बन सकती है। देश की मंडियों में आलू का स्टॉक कम है। इससे आने वाले दिनों में आलू की कीमतें उपभोक्ता को रूला सकती हैं। मंडी सूत्रों की माने तो आलू का स्टाक कम है और दामों में बढ़ोतरी की प्रबल संभावना नजर आ रही है।
गौरतलब है कि पिछले वर्ष प्याज की कीमतों को लेकर देश में खासा ऊबाल आया था। महंगाई की वजह से कांग्रेस को कई राज्यों में और इस वर्ष हुए आम चुनावों में भी सत्ता गंवानी पड़ी थी। मोदी सरकार ने महंगाई को काबू करने को सर्वोच्च प्राथमिकता में रखा है। सरकार के लिए परेशानी की बात यह है कि मौसम विभाग ने इस वर्ष मानसून भी सामान्य से कम रहने की भविष्यवाणी की है और वह भी ऎसे राज्यों में जहां आलू काफी बोया जाता है। अगर मानसून कमजोर रहा और पश्चिम बंगाल, बिहार, गुजरात, उत्तर प्रदेश, पंजाब और मध्यप्रदेश में इसका असर पड़ता है तो कुल खाद्यान्न उत्पादन भी प्रभावित होगा।
दिल्ली की आजादपुर मंडी के अध्यक्ष राजेन्द्र शर्मा का कहना है कि पिछले सालकी तुलना में आलू का स्टाक कम है। गत वर्ष सर्दियों में बेमौसम की बारिश से आलू की फसल को काफी नुकसान हुआ था जिससे इस वर्ष स्टाक कम हुआ है। शर्मा का कहना है कि थोक में आलू का भाव 12 रूपए से लेकर 18 रूपए प्रति किलो के बीच है जो पिछले साल की तुलना में लगभग डयोढा है। आलू की आमद 60-70 गाड़ी रोज हो रही है लेकिन महंगा होने की वजह से उठाव पूरा नहीं है। बिक्री कम है।
उधर, खुदरा आलू व्यापारी भी कीमतों में वृदि्ध को लेकर परेशान हैं। खुदरा व्यापारियों का कहना है कि एक तो आलू महंगा है दूसरे गुणवत्ता भी उतनी अच्छी नहीं है। सामान्य किस्म का आलू 25 से 30 रूपए किलो के बीच है। आम तौर पर जून मध्य से पहाड़ी आलू की आमद शुरू हो जाती है, किंतु अभी इसने रफ्तार नहीं पकड़ी है। वैसे पहाड़ी आलू की वजह से कीमतों पर कोई खास असर पड़ने की उम्मीद नहीं है क्योंकि यह पहले ही महंगा रहता है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने सोमवार को थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई के आंकडे जारी किए हैं, उनमें आलू की कीमतों में बढ़ोतरी को लेकर चिंता होना लाजिमी नजर आता है। आंकड़ों के अनुसार पिछले साल मई की तुलना में इस वर्ष आलू की कीमतों में 31.44 प्रतिशत की जोरदार बढ़ोतरी हुई है। आलू सभी श्रेणियों की वस्तुओं में सर्वाधिक महंगा हुआ है।