पोस्ट न्यूज़ राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने थैलेसीमिया पीड़ितों के लिए दवा खरीद का ठेका एक एेसी फर्म को दे दिया, जिसकी दवा की गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए हरियाणा मेडिकल सर्विसेज काॅर्पोरेशन लि. ने उसे डेबार कर दिया था। इसकी सूचना राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन को भी दी गई थी। ताज्जुब है कि हरियाणा मेडिकल सर्विसेज ने 13 सितंबर को इस फर्म की खराब दवा और डेबार की सूचना दे दी थी, इसी के ठीक एक सप्ताह बाद 19 सितंबर को आरएमएससी ने उसी फर्म को दवा सप्लाई के ऑर्डर जारी कर दिए।
हरियाणा में तीन साल के लिए डेबार गुजरात की सेन्च्यूरियन लेबोरेट्री ने राजस्थान में थैलेसीमिया मरीजों की डेफ्रासिरोक्स (500 मिलीग्राम) की 30 लाख रु. कीमत की 1 लाख 80 हजार टेबलेट सप्लाई भी कर दी है। यह दवा निशुल्क दवा योजना में शामिल है। यह टेबलेट खून चढ़ाते समय जमा आयरन को बाहर निकालने के लिए इस्तेमाल की जाती है। हरियाणा में यह दवा कंपनी बिना लाइसेंस और फर्जी दस्तावेज पर दवा सप्लाई करते पाई गई थी। दवा भी मानकों पर खरी नहीं उतरी थी। अब सवाल उठता है कि हरियाणा में फर्जी घोषित दवा कंपनी के राजस्थान में दस्तावेज जांचे भी गए कि नहीं? हरियाणा में कंपनी की परफार्मेंस की स्टडी की गई की नहीं? जो दवा सप्लाई हुई, उसकी मानक जांच सिंतबर के बाद हुई कि नहीं? हालांकि यही कंपनी राजस्थान में 2016 से ही थैलेसीमिया सहित 56 दवाओं की सप्लाई दे रही है।
प्रदेश में 2 हजार, अकेले जयपुर में 500 मरीज
राजस्थानथैलेसीमिया चिल्ड्रन सोसायटी के अध्यक्ष नरेश भाटिया का कहना है कि राज्य में थैलेसीमिया के 2 हजार से ज्यादा मरीज है।
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