भारत सरकार ने 857 पोर्न साइट्स को ब्लॉक कर दिया है.
सरकार के मुताबिक़ बच्चों की पहुंच से इन्हें दूर करने के लिए ऐसा किया गया.
हालांकि वयस्क अब भी इन साइट्स को प्रॉक्सी सर्वर का इस्तेमाल कर देख पाएंगे.
इसी साल जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने पोर्न साइट्स को ब्लॉक ना किए जाने पर सरकार के प्रति नाराज़गी ज़ाहिर की थी.
अदालत की नाराज़गी ख़ासतौर से चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी से जुड़ी वेबसाइट्स को ब्लॉक ना किए जाने पर थी.
वयस्कों के लिए बैन नहीं?
हालांकि टेलीकॉम कंपनियों ने कहा कि वो फ़ौरन इस बैन को लागू नहीं कर सकती हैं.
एक टेलीकॉम कंपनी के अधिकारी ने ‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ को बताया, “हमें एक-एक करके ये वेबसाइट ब्लॉक करनी होंगी. ऐसे में सभी सर्विस प्रोवाइडर्स को इन सभी साइट्स ब्लॉक करने में कुछ दिनों का वक़्त लगेगा.”
एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम ना छापने की शर्त पर बीबीसी को बताया, “दूरसंचार मंत्रालय ने सभी टेलीकॉम प्रोवाइडर और इंटरनेट सर्विस कंपनियों को सलाह दी थी कि वो
इन 857 पोर्न साइट्स को फ्री एक्सिस पर नियंत्रण लगाएँ.”
अधिकारी ने कहा, “ये बैन पूरी तरह से नहीं है. सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को ध्यान में रखते हुए और बच्चों को पोर्न साइट से दूर रखने के लिए ये कदम उठाया गया है. भारत की संस्कृति को बचाने के लिए ऐसा किया गया है. वयस्क अब भी पोर्न साइट पर जा सकते हैं.”
सोशल मीडिया पर विरोध
बीबीसी को इस अधिकारी ने बताया कि सरकार का ये सिर्फ़ एक अस्थायी कदम है और भविष्य में पोर्नसाइट को नियंत्रित करने के लिए एक दीर्घकालीन योजना बनाई जाएगी.
सरकार के इस क़दम की सोशल मीडिया पर आलोचना हो रही है और #pornban ट्रेंड कर रहा है.
मशहूर लेखक चेतन भगत ने ट्विटर पर लिखा, “पोर्न बैन मत करो, बल्कि मर्दों का औरतों को घूरना, उनकी बिना अनुमति के उन्हें छूना, उन्हें पकड़ना, उनका शोषण करना, उन्हें गाली देना, उनकी बेइज़्ज़ती करना और रेप करना बैन करो. सेक्स मत बैन करो.”
फ़िल्मकार रामगोपाल वर्मा ने लिखा, “वयस्कों को पोर्न देखकर हानि रहित मज़े लेने से रोकना वैसा ही है जैसा तालिबान और इस्लामिक स्टेट जैसे संगठनों का लोगों की मूलभूत आज़ादी को छीनना.”
कांग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा ने लिखा, “ये बैन पोर्न को पसंद या नापसंद करने से नहीं जुड़ा है. इस बैन का मतलब यही है कि सरकार लोगों की व्यक्तिगत आज़ादी छीन रही है. अब अगली दफ़ा किसे बैन करेंगे- टीवी या फ़ोन?”