उदयपुर. शहर की सुरक्षा इकाई माने जाने वाली पुलिस चौकियों के हालात बदतर हैं। संवेदनशील क्षेत्रों की अधिकांश पुलिस चौकियों पर ताले लटके हुए हैं। जहां चौकियां खुली मिली, वहां बमुश्किल एक दो जवान ही मिले। इन क्षेत्रों के लोगों से पूछे तो विवाद की स्थिति में ये जवान भी नहीं मिलते। पीडि़त को थाने जाना या चौकी पर लिखे नंबर पर फोन कर मदद मांगना मजबूरी बनता है। दैनिक भास्कर ने शहर की ऐसी पुलिस चौकियों के हालात जाने तो कुछ ऐसी हकीकत सामने आई।
थाना सूरजपोल
चौकी के आस-पास मिले व्यापारियों ने बताया अधिकतर चौकी पर कोई नहीं मिलता है। सुबह के समय कुछ देर के लिए इंचार्ज आते हैं और फिर थाने पर जाने की कहकर चले जाते हैं। कोई विवाद होता है तो पीडि़त घंटाघर या सूरजपोल थाने जाते हैं। लोगों ने कहा किशनपोल पर ज्यादा काम रहता है तो इस चौकी के बजाए इंचार्ज साहब वहां जाने की बताते हैं।
इसलिए जरूरी : इससे जुड़े दूधतलाई, समोरबाग, गुलाबबाग है। यहां पर्यटकों की दिनभर आवाजाही रहती है। लपका गिरोह भी सक्रिय रहते हैं।
हकीकत : एएसआई फतह सिंह की नियुक्ति है। उनका मोबाइल भी स्विच ऑफ था।
थाना सूरजपोल
लोगों ने चौकी के पार्क सहित उस पर अतिक्रमण किया हुआ था। चौकी के ऊपर छत पर बिस्तर लटक रहे थे। पीछे और साइड में बकरियां बंधी हुई थीं। चौकी का नाम भी ठीक से दिखाई नहीं दे रहा था। आस-पास के व्यापारियों ने बताया कि तीन साल पहले हुए झगड़े के बाद इसे यहां स्थापित किया गया था, लेकिन यहां कोई बैठता नहीं हैं।
इसलिए जरूरी : यह क्षेत्र समुदाय विशेष के लिहाज से भी संवेदनशील है। इसमें मुखर्जी चौक, बड़ा बाजार सहित अन्य व्यापारिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इलाका है। यहां बड़े आयोजन भी होते रहते है।
हकीकत : कोई नियुक्त नहीं है।
चौकियों पर इंचार्ज कई बार मामलों की तफ्तीश, घटनास्थल, सम्मन तामील करवाने आदि कार्यों में निकल जाते हैं। हां, चौकी पर ताला मिलना गलत है, किसी एक व्यक्ति को तो चौकी पर मौजूद रहना ही चाहिए। चौकियों की स्थिति चेक करवाकर व्यवस्था सही करवाएंगे।
डॉ. राजेश भारद्वाज, एडिशन एसपी सिटी