उदयपुर, बड़े बड़े होटल समूह के आगे प्रशासन भी बौना साबित हो रहा है । और यही वजह है की पिछोला के रिंग रोड का काम अटका पड़ा है । यु आई टी और जिला प्रशासन को शहर के हित और झीलों के सोन्दर्य करण के लिए पिछोला झील के रिंग रोड के लिए ट्रायडेंट होटल से जमीन लेने में पसीना आरहा है और इसी के चलते २४ अप्रेल को हुई सिटी लेवल मोनिटरिंग कमिटी की बैठक में संभागीय आयुक्त सुबोध अग्रवाल ने खासी नाराजगी जताते हुए अफसरों को लताड़ लगायी और एक महीने पिछोला रिंग रोड की रिपोर्ट पेश करने को कहा है ।जब की हकीकत यह है की जिला प्रशासन और यु.आई.टी. दोनों भी मिल कर होटल प्रबंधन को जमीं के लिए सहमत नहीं करा पाए है और ट्रायडेंटहोटल प्रबंधन अपने अड़ियल रवय्ये पर कायम है ।
उल्लेखनीय है कि यूआईटी द्वारा पिछोला में करोड़ों की लागत से रिंग रोड बनाया जा रहा है। रिंग रोड अधिकांश कार्य हो चुका है जबकि कुछ जमीनों की अवाप्ति नहीं होने से रोड का काम अटका पड़ा है। रिंग रोड में ट्रायडेंट होटल सहित राजस्व ग्राम सिसारमा के कुछ निजी खातेदारों की जमीन जा रही है। यूआईटी ने सरकारी नियमों का दबाव बनाते हुए निजी खातेदारों को तो अवाप्ति के लिए राजी कर लिया लेकिन ट्रायडेंट होटल समूह से एक साल की मशक्कत के बाद भी यूआईटी और जिला प्रशासन जमीन लेने में नाकाम रहे हैं। इसके चलते पिछोला का रिंग रोड का काम अटका पड़ा है।
जिला प्रशासन को दी जिम्मेदारी:- यूआईटी द्वारा ट्रायडेंट से जमीन लेने के बाद पिछले साल पिछोला रिंग रोड के दौरे पर आए नगरीय विकास विभाग के प्रमुख शासन सचिव जीएस संधू ने इसमें प्रशासन को हस्तक्षेप की बात कही थी। बाद में एनएलसीपी की सिटी लेवल की मानिटरिंग कमेटी की बैठक में भी इस संबंध में काफी चर्चा हुई। तब संभागीय आयुक्त डॉ. सुबोध अग्रवाल ने इस संबंध में कार्रवाई की जिम्मेदारी कलेक्टर को सौंपी थी।
चर्चा के बाद बात आगे नहीं बढ़ी:- यूआईटी और जिला प्रशासन के अधिकारी होटल प्रबंधन के पदाधिकारियों से जमीन लेने के संबंध में कई बार चर्चा कर चुके हैं। बताया जाता है कि कुछ शर्तों पर होटल समूह बीच में राजी भी हो गया था लेकिन आगे जाकर बात ठंडे बस्ते में चली गई। काफी समय से रिंग रोड के संबंध में यूआईटी और जिला प्रशासन के अलावा एनएलसीपी की सिटी लेवल मानिटरिंग कमेटी ने भी इसमें कोई रूचि नहीं दिखाई है।
एनएलसीपी के अंतर्गत बन रही है रिंग रोड:- पीछोला पर रिंग रोड नेशनल लेक कंजर्वेशन प्रोजेक्ट (एनएलसीपी) के अंतर्गत बनाई जा रही है। यूआईटी द्वारा इसका कार्य कछुआ चाल से किया जा रहा है। बताया जाता है कि पहले निजी खातेदारों जमीन देने के कारण विलंब हुआ और अब होटल समूह से सड़क के लिए जमीन मिलने में विलंब से इस योजना के पूरा होने में देरी हो रही है।
रिंगरोड पर उठा सवाल:- झील संरक्षण समिति और शहर के अन्य कुछ झील प्रेमी संगठनों ने रिंग रोड को लेकर सवाल उठाया है। झील प्रेमियों का कहना है कि यूआईटी द्वारा पीछोला झील पर रिंग रोड गलत तरीके से बनाई जा रही है। तथाकथित लोगों की जमीन को लाभ पहुंचाने के लिए रिंग रोड के नक्शे में बदलाव किया गया है। इस संबंध में पिछले दिनों मुख्य सचिव को शिकायत भी भेजी गई है। आरोप है कि यूआईटी अधिकारियों ने मिली भगत कर प्रभावी लोगों की जमीन को पेटे से बाहर निकाल दिया है।
तीसरा रिंग रोड:- झील प्रेमियों का कहना है कि पीछोला झील पर यह तीसरा रिंग रोड बनाया जा रहा है। इससे पहले दो रिंग रोड पहले ही बने चुके हैं। एकलव्य कॉलोनी में रिंग रोड के बोर्ड आज भी लगे हुए है। पूर्व में बनाए गए रिंग रोड का नया रिंग रोड बनाए जाने से कोई मतलब नहीं रह गया है। पुराना रिंग रोड आबादी से घिर चुका है। झील प्रेमियों को कहना है कि नया रिंग रोड बनाने से झील का नुकसान हो रहा है।