सीवरेज से पिछौला किनारे स्थिति भयावह बनी हुई है

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पुरानी व नई सिवरेज लाइने उबल रही

बागौर की हवेली चौक व कुआं में भरा सिवरेज का पानी

महामारी को आशंका

पिछौला का पानी स$ड रहा चांदपोल के पास

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उदयपुर, सरकार व प्रशासन भले ही यह दावा करते रहे कि एन.एल.सी.पी. योजना से झीलों की स्थिति में सुधार आ रहा है लेकिन वास्तविकता इसके ठीक विपरित है। पिछोला के पूर्वी हिस्से लाल घाट से चांदपोल दरवाजे तक पुरानी व नई सिवर ला$डने लबालब है। सिवरेज मेन झील के ढक्कनो से बाहर फूट रहा है। झील संरक्षण समिति व चांदपोल नागरिक समिति के संयुक्त तत्वाधान में झील प्रेमियों व विशेषज्ञो ने रविवार को क्षेत्र की स्थिति देखी। दल में अनिल मेहता, तेजशंकर पाली वाल, नन्दकिशोर शर्मा, झील हितैषी मंच के हाजी सरदार मोहम्मद ज्वाला जनजागृति संस्थान के भंवर सिंह राजावत, क्षैत्रवासी ओम प्रकाश सेन, जितेन्द्र सिंह चौहान इत्यादि सम्मिलित थे।

लालघाट, गणगौर घाट,भोलेश्री घाट, रोवडिया घाट इत्यादि स्थानों से सिवरेज का जहरीला पानी मेन होल से बाहर निकल एवं जमीन में भीतर ही भीतर धस रहा है। यह पिछौला के पर्यटन के प्रमुख केन्द्र बागौर की हवेली के प्रवेश द्वार व मुख्य चौक में लगी फर्शी में से सिवर बाहर निकल रहा है। जल स्तर ब$ढने से फर्शी बैठ रही है। स्थिति यह है कि जब पर्यटन चलते है तो पांव के दबाव से फर्शी की दरवाजो से सिवर बाहर निकल रहा है।

इसके साथ ही चांदपोल-ग$िडया देवरा दीवार के भीतर पिछौला किनारों पर खुले आम शौच निवृति, शौच को पिछौला में ही धोने, सिवरेज के पिछौला में रिसने से यहंा पानी स$डांध मार रहा है। गर्मी ब$ढने के साथ स्थिति और अधिक भयावह होगी। झील प्रेमियो व विशेषज्ञों ने क्षेत्र के नागरिको को आगाह किया है कि वे भूतल को अच्छी तरह से उबाल कर ही पीने के काम में ले। झील प्रेमियो का मानना है कि सम्पूर्ण क्षैत्र कमी भी जल जनित महामारियों केा चपेट में आ सकता है।

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