उदयपुर। एमबी हॉस्पिटल के आउटडोर में यह नजारा सिर्फ गुरूवार का ही नहीं है। हर रोज आउटडोर में कई मरीजों को खुले नहीं होने पर 5 रूपए लौटाए नहीं जाते। कोई ऑपरेटर लिख देता है तो कई पर्चियों पर “उधार” लिखा भी नहीं जाता। दस या बीस का नोट देने पर मरीज की पर्ची पर लाल गोला डाल बकाया रूपए डॉक्टर को दिखाने के बाद लेने की बात कह दी जाती है।
कोई ना-नुकर करे तो खुले पैसे लाने की बात कहकर पर्ची बनाने से ही इनकार कर दिया जाता है। डॉक्टर को दिखाने के बाद पैसे वापस लेना याद रहा तो ठीक, नहीं तो वो पैसा किसी और के ही खाते मेें चला जाता। गुरूवार को बात बढ़ी तो नर्सिगकर्मियों ने इस कार्य के ठेकेदार सुशांत और देखरेख प्रभारी डॉ. एन.एस. राठौड़ को भी बुलाया। अंतत: ठेकेदार को पाबंद किया गया है कि वह स्वयं खुले की व्यवस्था करे, मरीज और परिजन कहां-कहां भटकेंगे।
दिन : गुरूवार
समय : दोपहर 1.30 बजे
जगह : एमबी हॉस्पिटल का आउटडोर
नजारा : एक रोगी की परिजन पर्ची बनवाने आई, खुल्ले नहीं थे, ऑपरेटर ने बाद में आने को कहा, लेकिन पर्ची पर नहीं लिखा कि 5 रूपए देना बाकी है। ठीक दो मिनट बाद, एक मरीज खुद पहुंचता है, पुरानी पर्ची दिखाता है और कहता है कि पांच रूपए लेना बाकी है, लेकिन ऑपरेटर इनकार कर देता है, कहता है कि यह उसने नहीं लिखा। हंगामा बढ़ा तब वहां नियुक्त नर्सिगकर्मी भी बोल पड़े कि यह शिकायत रोज आ रही है।
कहा ठेकेदार ने
शिकायत है, मुझे मालूम है, लेकिन मैं खुले कहां से लाऊं। ऎसा न हो इसलिए हर महीने ऑपरेटर बदल देता हूं, मैं खुल्ले कहीं से उपलब्ध करा भी दूं तब भी ऑपरेटर रोगी और परिजनों को खुल्ले न दे तो मैं क्या करूंगा। फिर भी अब कोशिश रहेगी कि ऑपरेटरों पर सख्ती की जाए, शिकायत आने पर फाइन लगाया जाए।
सुशांत, ठेकेदार
कहा प्रभारी चिकित्सक ने
खुले देने की पूरी तरह से जिम्मेदारी ठेकेदार की है और उसे पाबंद कर दिया गया है। उसे जरूरत होगी तो अस्पताल से बैंक को चिल्लर के लिए आग्रह पत्र भी प्रदान किया जाएगा। इमरजेंसी से भी शिकायतें मिली थीं, ठेकेदार को सख्ती से व्यवस्था सुचारू करने को कह दिया है।
डॉ.एनएस राठौड़, प्रभारी
बैंकों में लगी हैं चिल्लर मशीनें
गौरतलब है कई बैंक शाखाओं में खुल्ले पैसे लेने की सुविधा उपलब्ध है। खुल्ले पैसे रखना विक्रेता की जिम्मेदारी है न कि उपभोक्ता की।