शाम ढलते ही शुरू होती है कर्मचारियों की पार्टी, कलेक्ट्री की छत पर पड़ी है ढेरों शराब की बोतलें
उदयपुर। शहर में शराब पीने के लिए सबसे महफूज स्थान जिला कलेक्ट्री की छत है। शाम को राष्ट्रध्वज तिरंगा उतर जाने के बाद वहां कानून का कोई रखवाला नहीं होता। तब वहां पर आराम से शराब पीते हुए मनमर्जी का गुल-गपाड़ा किया जा सकता है। आप किसी शराब की दुकान में, या फतहसागर की पाल पर या रानी रोड पर शराब पीते दिखाई देंगे, तो कानून लागू करने का जिम्मा उठाने वाली पुलिस आपको पकड़कर अंदर कर देगी, लेकिन कलेक्ट्री की छत पर ऐसा कोई खतरा नहीं है। शर्त बस एक ही है कि आपकी मित्रता उन कर्मचारियों से होनी चाहिए, जो दिनभर चौथ वसूली से अपनी जेबें भर लेते हैं।
पता चला है कि भ्रष्ट कर्मचारी और उनके दलाल आए दिन कलेक्ट्री की छत पर दारू पार्टियां करते रहते हैं। सुबूत के तौर पर वहां बिखरी पड़ी बीयर और दारू की बोतलें अपनी कहानी खुद कह रही है। क्रइन न्यूजञ्ज के एक रिपोर्टर ने १८ अगस्त की सुबह कलेक्ट्री की छत की क्रवीडियोग्राफीञ्ज करके नजारा कैमरे में कैद किया। आश्चर्य तो यह है कि इस नजारे को क्रइन न्यूजञ्ज दो दिन से अपने चैनल पर दिखा रहा है, जिसे उदयपुर शहर और आसपास के गांवों के लाखों दर्शक देख रहे हैं लेकिन कलेक्ट्री की छत का नजारा आज सुबह तक नहीं बदला। इसकी वजह जिम्मेदार अफसरों का सरकार की चाकरी में व्यस्त रहना है। पता चला है कि कलेक्ट्री की छत पर ये दारू पार्टियां तब से शुरू हुई, जब एक रंगीन मिजाज जैन कलेक्टर यहां तैनात थे, जो हर हफ्ते नई लड़की मंगाते थे। कलेक्ट्री के कर्मचारी इन वारांगनाओं को लेने के लिए डबोक जाते रहते थे। साहब की रंगीन मिजाजी देखकर कर्मचारियों की हौसला अफजाई हुई और वे छत पर दारू पार्टियां करने लगे।
शहरवासियों को यह तो मालूम है ही कि कुछ अर्से पहले एक पागल महिला ने कलेक्ट्री के बाहर फुटपाथ पर प्रसव किया था। वह महिला लंबे समय तक कलेक्ट्री के भीतर और बाहर घूमा करती थी और वहीं सो जाया करती थी।
कलेक्ट्री की छत पर दारु पार्टी और मनमर्जी का गुल-गपाड़ा
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