उदयपुर | नगर निगम चुनाव में महापौर की दौड़ में सबसे आगे पारस सिंघवी ही थे और उन्हें पूरी उम्मीद थी कि महापौर उन्हें बनाया जाएगा | लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से उनकी पुरानी अनबन और उनकी दबंग छवि शायद उनके महापौर के रास्ते में रोड़ा बन गयी, हालाँकि जनता और पार्षदों की पसंद अगर सुनी जाए तो पारस सिंघवी ही पहली पसंद थे लेकिन पार्टी के फैसले के आगे सभी नतमस्तक दिखे | कल भी महापौर की घोषणा होने के पहले सिंघवी ने गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया से अपनी इच्छा झाहिर की साथ ही पार्टी का निर्णय सर्वो पारी भी बताया लेकिन आखिर कार उनके नाम की घोषणा नहीं होकर चन्द्र सिंह कोठारी के नाम की घोषणा हुई और उन्हें दरकिनार कर दिया | कई पार्षद तो यह कहते हुए भी दिखे कि सबसे काबिल दावेदार को महापौर नहीं बना कर पार्टी के नेताओं ने कही न कही अपनी पुरानी टसल निकाली है | और इसी का मलाल सिंघवी के दिल में रह गया |
महापौर के प्रमुख दावेदार माने जाने वाले पारस सिंघवी के दिल में महापौर नहीं चुने जाने का मलाल है, और उन्होंने इस बात को स्वीकार भी किया | उन्होंने कहा की पार्टी के लिए काम करता रहुगा | मेरे मन में आक्रोश नहीं लेकिन मलाल जरूर है | और आज इस बात के उन्होंने संकेत भी दे दिये | उपमहापौर के चुनाव के समय पार्टी कार्यालय से नगर निगम में नामांकन भरने तक पारस सिंघवी रैली में मौजूद थे लेकिन उप महापौर के नामांकन के बाद सभा कक्ष में से ही पारस सिंघवी उठ कर चले गए और उन्होंने भाजपा की आभार रैली में शामिल नहीं हो कर अपनी नाराजगी जाहिर कर दी | रैली शुरू होने के आखरी समय तक भाजपा के वरिष्ठ नेता पारस सिंघवी को ढूंढते रहे लेकिन पारस नज़र नहीं आये |
पारस सिंघवी ने किया विजय-आभार रैली का बहिष्कार
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