शराब से कहीं यहां न मच जाए मौत का तांडव

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> उत्तरप्रदेश में जहरीली शराब पीने से 45 जनों की मौत
> हरियाणा निर्मित अंग्रेजी शराब की खपत ज्यादा
> चुनाव में बढ़ जाती है अवैध शराब की तस्करी

Samogonउदयपुर। उत्तरप्रदेश में जहरीली शराब पीने से मचे मौत के तांडव में जहां 45 जने काल के शिकार बन चुके हैं। आदिवासी बहुल उदयपुर संभाग के अंदरुनी ग्रामीण इलाकों में कई बार नकली शराब की फैक्ट्रियां पकड़ी जा चुकी हैं। यहां भी नकली शराब बनाने और हरियाणा निर्मित अंग्रेजी शराब का कारोबार चरम पर है। विशेष तौर से पंचायत चुनाव में कारोबार ने और जोर पकड़ लिया है। जानकारों का मानना है कि जिले में ऐसी कोई जगह नहीं होगी जहां हरियाणा निर्मित अंग्रेजी शराब न बिक रही हो। ठीक इसी प्रकार नकली शराब बनाने का काम भी चलता ही रहता है। हाल ही में राजसमंद के देवगढ़ थाना क्षेत्र में नकली शराब बनाने की फैक्ट्री पकड़ी गई थी। पुलिस के लाख प्रयासों के बावजूद इन पर रोक लग पाना संभव नहीं हो पाता। कार्रवाई में पकड़े जाते हैं लेकिन कुछ समय बाद जमानत हो जाती है और वापस वे उसी काम में लग जाते हैं। हरियाणा की शराब आने से जिले में जंगल में बनाई जा रही नकली शराब के कारोबार पर हालांकि असर हुआ है, फिर भी झाड़ोल, फलासिया, मांडपिया के घने जंगलों में आज भी लोग शराब बनाते हैं। अभी कुछ समय पूर्व ही पुलिस ने कार्रवाई कर पांच से अधिक स्थानों पर दबिश देकर नकली शराब बनाने वालों का गिरोह पकड़ा है।
चुनाव आते ही बढ़ जाता है कारोबार : चुनाव आते ही शराब की खपत बढ़ जाती है। शराब तस्करी भी तेज हो जाती है। हरियाणा निर्मित शराब सस्ती होने के कारण चुनाव में बांटने में अधिक उपयोग में लाई जाती है। शराब माफिया रात के अधेंरे में उक्त शराब लोगों तक पहुंचाते हैं हालांकि पुलिस इस बार चुनाव में शराब तस्करी को लेकर काफी सख्त है।
टैक्स का है चक्कर : राजस्थान में शराब पर ज्यादा टैक्स है। हरियाणा में टैक्स कम होने से वहां की शराब सस्ती पड़ती है। यही वजह है कि सीमावर्ती इलाकों में अवैध शराब को गोरखधंधा बढ़ा है। हरियाणा के तस्कर अपने बॉर्डर के गांव में अंगे्रजी शराब रखते हैं। सस्ती के चक्कर में वहां से अवैध रूप से शराब मंगाते हैं जिसका फायदा उठाते हुए वहां के तस्कर नकली शराब बनाकर उन्हें परोस देते हैं।
तीन माह बाद ही हो जाती है खराब : हरियाणा निर्मित शराब करीब तीन माह बाद खराब हो जाती है। शराब में मिला कैमिकल बोतल के पैंदे में जमा होने से बोतल में दो रंग की शराब नजर आती है। आबकारी अधिकारियों का कहना है कि राजस्थान में बिकने वाली शराब सालों तक खराब नहीं होती।
यहां हुई कार्रवाई : सुखेर पुलिस ने कुछ समय पूर्व दबिश देकर दो आरोपियों को गिरफ्तार किया था। पुलिस ने वहां से अग्रेजी शराब, शराब बनाने के उपकरण, खाली बोतलें, शराब के नाम के स्टीकर भी बरामत किए थे। इस प्रकार डबोक पुलिस ने लगभग छह माह पूर्व भटेवर के पास क्षेत्र में दबिश देकर कच्चे मकान पर दबिश दी थी। जहां कार्रवाई की भनक लगने से किसी की गिरफ्तारी नहीं हो पाई पर पुलिस ने वहां से कच्ची शराब बनाने के सामान जब्त किए थे।
हल्की शराब पर बं्राडेड लेबल : शराब के ठेकेदारों द्वारा चुनाव के चलते हरियाणा से तस्करी कर लाई जा रही शराब की बोतलों पर लगने वाला लेबल तो ब्रांडेड शराब कंपनी का होता है मगर बोतल में शराब घटिया होती है।

> पंचायत चुनाव को देखते हुए पुलिस की ओर से सख्ती बरती जा रही है। जिले के सभी क्षेत्रों में पुलिस अवैध शराब पर नजर रखे हुए हैं। अवैध शराब को लेकर कार्रवाई की जा रही है।
-हनुमान प्रसाद मीणा, एएसपी मुख्यालय
> राजस्थान के हर जिले में कार्रवाई की जा रही है। उदयपुर में एक माह से धरपकड़ की जा रही है। जिले के अलग-अलग क्षेत्र में अब तक लगभग ५० से अधिक जगहों पर कार्रवाई की जा चुकी है। चुनाव को देखते हुए पूरे राज्य में अवैध शराब के मामले पर सख्ती बरती जा रही है।
ओपी यादव, आबकारी आयुक्त, राजस्थान

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