उदयपुर। अवैध हथियारों के मामले में लिप्त बताई जा रही साकरोदा में सरपंच पद की उम्मीदवार उषा शर्मा की तलाश में फिरोजाबाद तक हो आई पुलिस का कहना है कि गिरफ्तारी के लिए अभी सही समय नहीं है, जबकि वो सरेआम साकरोदा में प्रचार कर रही है। अगर उषा शर्मा की गिरफ्तारी के लिए यह सही समय नहीं है, तो उसकी तलाश में पुलिस टीम फिरोजाबाद क्यों गई थी? उषा शर्मा की गिरफ्तारी नहीं होने के पीछे दो कारण दिखाई पड़ रहे हैं। इनमें से एक यह हो सकता है कि राजनीतिक दबाव के कारण पुलिस विवश है और दूसरा यह कि उषा शर्मा के खिलाफ रचे षडय़ंत्र में शामिल पुलिस बैकफुट पर आ गई है।
पुलिस की दो कहानियां-
पुरानी कहानी : डबोक पुलिस से सूचना मिली कि अवैध हथियारों के मामले में गिरफ्तार सौरभ शर्मा ने साकरोदा में सरपंच पद की उम्मीदवार उषा शर्मा के पति डॉ. अनिल शर्मा उर्फ अनिल माली को हथियार बेचे हैं। सौरभ शर्मा उषा शर्मा का भांजा बताया जाता है। इस सूचना के बाद प्रतापनगर पुलिस ने बड़ी दिलेरी से बीते शुक्रवार की रात को साकरोदा में दबिश दी। इस कार्रवाई में अनिल, प्रतापसिंह देवड़ा और किशन डांगी को गिरफ्तार करके तीन लोडेड पिस्टोलें बरामद की गई। कार्रवाई के दौरान सरपंच पद की उम्मीदवार उषा शर्मा फरार हो गई। उसकी तलाश में टीम को फिरोजाबाद भेजी गई और साकरोदा में भी दबिश दी गई, लेकिन सफलता नहीं मिली। यहां यह बताना भी जरूरी है कि कार्रवाई के दौरान एक आरोपी को पुलिस की महिला कांस्टेबलों ने बहादुरी दिखाते हुए मोबाइल टॉर्च से पीछाकर गिरफ्तार किया था।
नई कहानी : क्रमददगारञ्ज ने जब पुलिस द्वारा लापता बताई जा रही उषा शर्मा को खोज निकाला, तो पुलिस की कहानी में यू टर्न आ गया है। पुलिस का कहना है कि अभी उसे गिरफ्तार करने का सही समय नहीं है। उसे इस मामले में आरोपी बनाया गया है। मामले की जांच चल रही है। सही समय आने पर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया जाएगा। यहां सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि अगर उषा शर्मा की गिरफ्तार का अभी सही समय नहीं है, तो पुलिस टीम को फिरोजाबाद क्यों भेजी गई?
अंदर की बात :
उषा शर्मा भाजपा के समर्थन पर सरपंच का चुनाव लड़ रही है। अगर पुलिस की बताई कहानी सही है, तो संभव है कि राजनीतिक दबाव के कारण फिलहाल पुलिस उषा शर्मा को गिरफ्तार नहीं किया जा रहा हो और मामले को दबाया जा रहा हो। और अगर ऐसा नहीं है, तो दूसरा कारण यह हो सकता है कि उषा शर्मा के आरोपों में सच्चाई हो, जिस कारण पुलिस बैकफुट पर आ गई हो।
उषा शर्मा की कहानी
उषा शर्मा का कहना है कि शुक्रवार रात को प्रतापनगर पुलिस आई थी। उस दौरान गांव के भैरूजी के मंदिर में चुनाव को लेकर बैठक हो रही थी, जहां मेरे सहित करीब दो सौ लोग मौजूद थे। पुलिस ने अनिल, किशन डांगी और प्रतापसिंह से अवैध हथियारों के बारे में पूछताछ की और गाडिय़ों की तलाशी ली, लेकिन कुछ नहीं मिला। बाद में पुलिस तीनों को साथ ले गई। उषा शर्मा का आरोप है कि तीनों को गांव के बाहर ले जाकर पुलिस ने हथियारों की झूठी बरामदगी बताई है और मुझे भी बाद मेें आरोपी बनाया गया है। अगर पुलिस को पहले ही मुझ पर संदेह था, तो मुझे भी गिरफ्तार करती। आरोप है कि उक्त मामले में सीआई चंद्रप्रकाश पुरोहित ने पूर्व सरपंच भगवतीलाल से सांठ-गांठ करके यह झूठी कार्रवाई की है। आरोप है कि भगवतीलाल ने एक मोटी रकम थानाधिकारी पुरोहित को दी है।
राजनीतिक दबाव या पुलिस ने खाई घूस ?
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