मतदाताओं को रिझाने के लिए मुंबई-सूरत में हो रहे है जलसे, पार्टियों में शामिल हो रहे हैं जनप्रतिनिधि, लग्जरी वाहनों से लाया जाएगा मतदाताओं को
उदयपुर। चुनाव आयोग द्वारा आदर्श आचार संहिता का कितना भी दंभ भरा जाए, लेकिन पंचायत राज चुनाव की अखाड़ेबाजी सिर्फ गांवों में ही नहीं, बल्कि मुंबई और सूरत जैसे महानगरों तक चल रही है। गांवों की सरकार के लिए महानगरों में रणनीतियां तय की जा रही है। इन गांवों में पंच, सरपंच, पंचायत समिति सदस्य और जिला परिषद सदस्य को लेकर महानगरों में क्रगोटियांञ्ज बिठाई जा रही है। पता चला है कि दोनों ही प्रमुख पार्टियों के वे समर्थक (महानगरों में रहने वाले धन्नासेठ) गांवों की सरकार में जमकर क्रक्रमनीञ्जञ्ज और क्रक्रपॉवरञ्जञ्ज का खेल खेल रहे हैं। जो अपने अपने गांवों की राजनीति में वर्चस्व चाहते हैं। इसको लेकर यहां के जनप्रतिनिधि महानगरों की दौड़ लगा रहे हैं। महानगरों में रहने वाले मतदाताओं के लिए भी पार्टियों का दौर शुरू हो गया है। इनमें दोनों ही प्रमुख पार्टियों के जनप्रतिनिधि भी शामिल हो रहे हैं।
गोगुंदा, सायरा और बडग़ांव क्षेत्र के कई गांव ऐसे हंै, जिनके अधिकतर लोग मुंबई-सूरत सहित अन्य महानगरों में रहते हैं, जिनके वहां पर बड़े-बड़े उद्योग हैं। ये लोग गांवों में सिर्फ शादी-ब्याह और त्योहारों पर ही आते हैं, लेकिन इन लोगों की यहां के चुनावों में भी गहरी रूचि रहती है। ये धन्ना सेठ इन चुनावों में खुलकर चन्दा देेते हैं। साथ ही अपने समर्थकों को विजयी बनाने के लिए क्रएड़ी-चोटीञ्ज का जोर लगा देते हैं। हालांकि चुनाव आयोग के निर्देशानुसार मतदाताओं को किसी भी प्रकार से प्रभावित करना गैरकानूनी है, लेकिन यहां के जनप्रतिनिधि धन्ना सेठों की मदद से खुले आम लग्जरी वाहनों में महानगरों से मतदाताओं को लेकर यहां पहुंचते हैं, जहां मतदान करवाया जाता है। इन मतदाताओं के क्रखाने-पीनेञ्ज का पूरा बंदोबस्त संबंधित पार्टी और जनप्रतिनिधियों द्वारा किया जाता है, लेकिन आज तक प्रशासन ने इन लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है, जो दर्शाता है कि चुनाव में लगे अधिकारी भी इन धन्ना सेठों के कितने प्रभाव में हैं?
65 प्रतिशत आबादी बाहर : गोगुंदा, सायरा और बडग़ांव के आसपास के कई गांव मदार,खलिया कला, रावलिया खुर्द, घोड़ों का गुड़ा, गाडिय़ों का गुड़ा, ढोल चाली, भूताला, कडिय़ा, लोसिंग, मोरी पानेर, पटियामा सेमारी आदि कई ऐसे गांव है, जिनमें 30 से 65 प्रतिशत की आबादी मुंबई और सूरत में रहती है। इसमें कई लोग परिवार सहित वहीं रहते हैं। इन लोगों का सोना-चांदी, दूध, भंगार आदि का व्यवसाय है। कई ग्रामीण वहां की होटलों में वेटर और रसोइये का काम भी करते हैं। ये लोग अक्सर छुट्टियों में या फिर शादी-ब्याह में यहां आते हैं।
लक्जरी बसों से लाया जाएगा : सूत्रों के अनुसार दोनों पार्टियों के प्रत्याशियों ने मुंबई-सूरत से मतदाताओं को गांव तक लाने के लिए लक्जरी बसों का इंतज़ाम किया है। यह लक्जऱी बसें वॉल्वो और स्लीपर है, जो वोटिंग के लिए मतदाताओं को लाएगी तथा वापस मुंबई और सूरत छोडऩे जाएगी।
मुंबई-सूरत में पार्टियां : जानकारी के अनुसार मुंबई-सूरत में रहने वाले इन ग्रामीणों को लुभाने के लिए मुंबई-सूरत में आए दिन यहां के प्रत्याशियों द्वारा वहां पार्टियां आयोजित की जा रही है।
गांव के सरपंच प्रत्याशी के कार्यकर्ता मुंबई और सूरत में यह सारी बागडोर संभाले हुए हंै। सूत्रों की माने तो इन सरपंच प्रत्याशियों का यह सारा चुनावी खर्चा उठाने वाले भी मुंबई में व्यवसाय करने वाले ये धनाढ्य लोग हैं। मुंबई में पिछले कुछ दिनों में कई पार्टियां आयोजित हो गई है, जिसमें संबंधित गांवों
मायानगरी में पंचायत चुनाव की नाइट पार्टियां!
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