नशे के चलते अपने शरीर को बर्बाद करने वालों के लिए राहत भरी खबर है। डोडा-पोस्त व अफीम का नशा छोड़ना उनके लिए आसान हो सकता है। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन् राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय नशेडियों का पंचकर्म करेगा, ताकि नशा छोड़ते समय आने वाली शारीरिक दिक्कतों से नशेड़ी उबर सके। इसको लेकर विश्वविद्यालय ने तैयारियां प्रारंभ कर दी है।
ऎसे होगा पंचकर्म
आयुर्वेद विश्वविद्यालय में नशेड़ी को भर्ती कर नशा छोड़ने का इलाज किया जाएगा। आयुर्वेद तेलों से उसकी मालिश की जाएगी। आयुर्वेद तरीके से भाप स्नान और शिरोधारा यानी सिर पर आयुर्वेद तेल की धारा देकर उपचार किया जाएगा। इसके पीछे विश्वविद्यालय प्रोफेसर का मानना है कि नशा छोड़ते समय नशेड़ी के शरीर की नसों में खिंचाव, दर्द जैसी दिक्कत आती है। पंचकर्म से ऎसी समस्याओं से निजात मिलेगी।
हर नशेड़ी का पंचकर्म
विश्वविद्यालय में आने वाले नशेड़ी का उपचार के दौरान पंचकर्म किया जाएगा, ताकि नशा छोड़ने में उसको आसानी हो। इससे उन्हें काफी लाभ मिलेगा। – प्रो. राधेश्याम शर्मा, कुलपतिडॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन् राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय, जोधपुर
औषधियां बनकर तैयार : नशा छुड़ाने की पहल को लेकर आयुर्वेद विश्वविद्यालय आगे आया है। नशेडियों के इलाज के लिए विश्वविद्यालय में अर्क व कुचला से बनी औषधियां तैयार कर ली है। यहां नशेडियों का एक से तीन माह तक उपचार होगा।