पोस्ट न्यूज़ . सूफी संत ख्वाज़ा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के दीवान ने “पद्मावती” फिल्म का विरोध करते हुए कहा कि संजय लीला भंसाली पद्मावती फिल्म के जरिये देश में धार्मिक भावनाएं भड़का कर माहोल खराब करना चाहते है. उन्होंने संजय लीला भंसाली की तुलना सलमान रश्दी और तसलीमा नसरीन से करते हुए कहा कि भंसाली बेवजह विवाद पैदा कर देश का सांप्रदायिक सोहार्द ख़त्म करना चाहते है . पद्मावती इस देश का गौरव है .
दरगाह दीवान ने कहा कि भंसाली की फिल्म इतिहास और तथ्यों से परे नजर आती है। चित्तौड़ की महारानी पदमावती देश और राजपूत समाज की वीरता और सम्मान का प्रतीक है। उनकी नाराजगी को देखते हुए मुस्लिम समुदाय को भी राजपूत समुदाय को समर्थन देना चाहिए। भंसाली ने इतिहास को तोड़-मरोड़कर पदमावती फिल्म का निर्माण किया। इससे राजपूत समुदाय की धार्मिक भावनाएं आहत हो रही हैं। इससे पहले रश्दी और नसरीन ने इस्लाम धर्म के खिलाफ अनर्गल टिप्पणियां कर मुस्लिम समुदाय के लोगों की भावनाएं आहत करने की कोशिश की है। फिल्म में पदमावती और अलाउद्दीन खिलजी के कथित चित्रण से धार्मिक भावनाएं भड़क सकती है।
दीवान जैनुअल आबेदीन ने कहा कि फिल्म का मकसद किसी समुदाय की भावना को आहत करना नहीं होता है। लेकिन पद्मावती फ्लिम में राजपूतों के गौरवशाली इतिहास को धूमिल करने और तोडऩे-मरोडऩे का प्रयास किया गया है। ऐसे में भारत सरकार को तत्काल फिल्म प्रदर्शन पर रोक लगानी चाहिए। पद्मिनी राजस्थान और पूरे देश के स्वाभिमान का प्रतीक हैं। उनके अपमान को कोई भी स्वीकार नहीं करेगा।