अगर “पीकेगिरी” शब्दों को अलग-अलग यूं लिखा जाए- पी के गिरी, तो लगेगा कि कोई नवयौवना “बीयर शियर” पी कर गिर गई होगी। वैसे आज से बीस-पच्चीस बरस पहले ऎसी कल्पना करना भी मुश्किल था लेकिन इस बार जब “न्यू ईयर ईव” की पार्टियों का हाल देखा तो एक-दो नहीं वरन् डेड़-दो दर्जन मोहतरमाओं को डगमगाते देखा।
निस्संदेह इस सांझ को कई तो गिर भी गई होंगी। लेकिन हम इस वक्त दूसरी चर्चा करना चाह रहे हैं। इन दिनों राजकुमार हीरानी की फिल्म के बड़े चर्चे हैं। अवाम को जहां यह फिल्म पसंद आ रही है वहीं कुछ धर्माचार्यो, योगियों और संस्कृति के ठेकेदारों के गले इसके तर्क नहीं उतर रहे हैं। हम इन महानुभावों से निवेदन करना चाहते हैं कि हे सज्जनो- काहे की टेंशन ले रहे हो। अपने यहां फिल्मी ज्वार ज्यादा नहीं उठता।
लगता तो ऎसे है कि न जाने क्या हो जाएगा पर कुछ ही दिनों में मामला ठंडा पड़ जाता है। जैसे हीरानी की ही पहली फिल्म “मुन्ना भाई…”ले लीजिए। उससे जादू की झप्पी का आविष्कार हुआ। ऎसा नहीं कि अपने यहां गले लगा कर प्रेम जताने की परम्परा पहले नहीं रही। रामायण के अधिकांश किरदार बार-बार गले मिलते नजर आते हैं पर मुन्नाभाई के बाद तो कॉलेज में पढ़ने वाले छोरे-छोरियों में “जादू की झप्पी” देने का फैशन सा चल गया।
एक बुजुर्ग मित्र बताते हैं कि इस बहाने उन्होंने भी अपनी कई पुरानी भाइलियों को उनके पतियों के सामने ही गले लगा लिया। बहरहाल जादू की झप्पी का यह सिलसिला जल्दी ही उतर गया और फिर “लगे रहो मुन्ना भाई” के साथ “गांधीगिरी” का फैशन चला। लोग अपने शत्रुओं तक को फूल देने लगे। ऑफिसों की घूस में नकदी की जगह गुलाब के फूल दिए जाने लगे लेकिन कुछ दिनों बाद “गांधीगिरी” का उफान भी ऎसे ही शांत हो गया जैसे उफनते दूध में ठंडे पानी के छींटे पड़ गई हों।
गुलदस्तों की जगह रिश्वत में वापस गांधीछाप बंडल चल पड़े। इसके बाद आई “थ्री इडियट्स” इस फिल्म को देख कर कई लड़कियां शादी के मण्डप से उठ कर अपने पुराने प्रेमी की तलाश में निकलीं लेकिन पता चला कि वह तो ऑलरेडी अमीर की लड़की से शादी करके दो बच्चों का बाप बन चुका है। तो विरोध करने वाले मनीषियो काहे को चिल्लपौं मचा कर फिल्म का बिजनेस बढ़ा रहे हैं।
अगर फिल्मों से ही क्रांति हो जाती और परिवर्तन आने लगता तो अब तक राजकपूर की फिल्मों से समाजवाद आ चुका होता। आप तो फिल्म देखो और भोजपुरी के मजे लो। ज्यादा टेंशन लेंगे तो दिमाग सुन्न पड़ जाएगा। वैसे भी आजकल ठंड बहुत पड़ रही है। आप तो पीके रजाई में मुंह ढक कर सो जाओ देखो कैसा आनंद आता है?