शहर में ट्रेफिक बूथों की अनदेखी, सिग्नल लाइट के भरोसे यातायात, बदहाल ट्रैफिक व्यवस्था बनती है हादसे का सबसे बड़ा कारण
उदयुपर। शहर में ट्रेफिक चल रहा है, चलाया नहीं जा रहा है। चौराहों पर यातायात व्यवस्था संचालन के लिए लगे ट्रेफिक बूथ वीरान पड़े रहते है। वहीं व्यवस्था संभालने वाले ट्रेफिक पुलिसकर्मी इन बूथों के बजाय कोने में खड़े रहते है। चौराहें पर ज्यादातर पुलिस कर्मी फोन पर किसी से बतियाते दिखाई देते हैं। ऐसी हालत में ट्रैफिक व्यवस्था केवल सिग्नल लाइट के भरोसे पर ही टिकी होती है।
नगर के चोक-चौराहों पर दिनभर यातायात नियमों के टूटने का सिलसिला चलता रहता है। यातायात को नियंत्रित करने और हादसों को टालने के लिए शहर में चौराहे पर ट्रैफिक बूथ खड़े किए गए है। विभाग खुट इन गुमटियों की वर्षों से अनदेखी कर रहा है। यातायात पुलिस कर्मियों को तो जैसे याद ही नहीं कि बूथ उन्हीं के लिए खड़े किए गए है। चौराहे पर पुलिस कर्मी ड्यूटी तो देते है, लेकिन पूरी तरह से नहीं। बूथों में खड़े रहने के बजाय सड़क किनारे दुकान या किसी अन्य स्थान पर खड़े रहते है। इस दौरान यातायात व्यवस्था वाहन चालकों के ही हवाले होती है। किसी को जल्दी हो और लगे कि निकल जाना चाहिए, तो वह ग्रीन लाइट का इंतजार नहीं करता। बल्की रेड लाइट में भी एक्सीलेटर घुमाकर सरपट निकल जाता है। पीछे वालों को लगे कि आगे वाला निकल गया और उन्हें भी निकल जाना चाहिए, तो पूरी की पूरी लाइन चल पड़ती है। फिर एक साइड से नियम टूटता देख दूसरी साइड वाले भी यातायात नियम तोड़कर निकल जाते है। नियम टूटते देख कुछ देर के लिए यातायात पुलिसकर्मी अपनी ड्यूटी निभाने बीच में आकर खड़े हो जाते है।
बूथों का हाल बेहाल
ट्रेफिक पुलिस के जवानों के लिए हजारों रूपए खर्च कर लगाई गई गुमटियां वीरान पड़ी रहती है। इनका बुरा हाल देखकर लगता है कि यह मोटा खर्च बेकार में ही गया। कोई बूथ जर्जर है, तो किसी का हालत खस्ता है। वहीं कुछ चौराहोंं पर तो बूथ गायब ही हो गए हैं। ऐसे में यातायात पुलिस इनमें अब खड़ा भी होना चाहे, तो पहले इन्हें दुरुस्त करना होगा।
खास चौराहे खाली
शहर के सूरजपोल, दुर्गानर्सरी रोड की गुमटियां तो हमेशा ही खाली पड़ी रहती है। व्यवस्था बिगडऩे पर पर पुलिसकर्मी ड्यूटी संभालने पहुंचते है, लेकिन तब भी बूथ में खड़े नहीं होते।
व्यवास्था बनाकर वे वहां से निकल जाते है। शहर के कई मुख्य चौराहों पर तो पुलिस के जवानों के खड़े रहने के लिए भी बूथ की व्यवस्था नहीं है।
युवाओं की दादागीरी
शहर के युवा और अन्य वाहन चालक अच्छी तरह से जानते है कि ट्रेफिक बूथों में वीरानी रहती है। ट्रैफिक पुलिस के जवान कोने में खड़े रहते है।
चौराहों पर पंहुचते ही वाहन चालक सीधा कोने की तरफ देखता है और यातायात पुलिस को मोबाइल व अन्य किसी से बतियाते देख नियम तोड़कर निकल जाता है। वाहन चालक रेड सिग्नल होने के बादजुद फर्राटे भरता है। तीन सवारी भी बिना रोक-टोक बाइक पर निकल जाते है। ऐसे दृश्य शहर में आम हो चले है।
हमारी पुलिस कोने में, बूथ वीरान
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