संत टेरेसा स्कूल से हिन्दी भाषा निष्कासित
स्कूल में अभिभावकों व छात्राओं ने किया प्रदर्शन उदयपुर। मिशनरी स्कूल संत टेरेसा के प्रबंधन ने डेढ़ सौ छात्राओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है। स्कूल प्रबंधन ने तानाशाही रवैया अपनाकर हिंदी मीडियम को बंद कर दिया और छात्राओं से जबरन स्कूल से निकाले जाने वाले नोटिस पर हस्ताक्षर भी करवा लिए, जिससे अब उनके आगे की पढ़ाई अधरझूल हो गई है। साथ ही इन छात्राओं का दूसरे स्कूल में भी एडमिशन नहीं हो पा रहा है। इसका विरोध करते हुए अभिभावकों और छात्राओं ने आज स्कूल प्रबंधन के खिलाफ प्रदर्शन किया। संत टेरेसा गल्र्स स्कूल, जिसमे पिछले कई सालों से हिंदी मीडियम में छात्राएं अध्ययनरत है, अब स्कूल प्रशासन उनको निकालने पर तुला हुआ है, क्योंकि स्कूल प्रबंधन द्वारा हिंदी मीडियम बंद किया जा रहा है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है, क्योंकि स्कूल प्रबंधन के पास हिंदी मीडियम के टीचर ही नहीं है, जिसमें छात्राओं का कोई दोष नहीं है। जो छात्राएं आठवीं क्लास पासकर नवीं कक्षा में गई है तथा जो छात्राएं दसवीं पास कर ११वीं में जाएगी, उनको अब स्कूल प्रशासन ने आगे नहीं पढ़ाने का निर्णय लेते हुए स्कूल से निकालने का नोटिस जारी कर दिया है।
धोखाधड़ी से कराए हस्ताक्षर : १०वीं और आठवीं की छात्राओं के अभिभावकों का आरोप है कि स्कूल प्रशासन ने डायरी में अगली क्लास में नहीं बैठाने के नोट पर दबाव डालकर अभिभावकों और छात्राओं के हस्ताक्षर करवा लिए और उसकी कॉपी स्कूल प्रबंधन ने अपने पास रख ली, जिसके आधार पर छात्राओं को स्कूल से निकालने का दबाव बनाया जा रहा है। आरोप है कि स्कूल प्रबंधन ने इस संबंध में किसी भी प्रकार की मीटिंग नहीं बुलाई। आज सुबह जब अभिभावक स्कूल की प्रिंसीपल सिस्टर जस्लीना से मिले, तो उन्होंने कहा कि हमारे पास हिंदी मीडियम के टीचर नहीं है। यहां सिर्फ इंग्लिश मीडियम की ही पढ़ाई होती है।
नहीं मिल रहा एडमिशन : अभिभावकों की परेशानी यह भी है कि १०वीं का रिजल्ट अभी नहीं आया और जब तक रिजल्ट आएगा, तब तक दूसरे स्कूलों में एडमिशन भी बंद हो जाएगा। दूसरी तरफ, शहर में हिंदी मीडियम की स्कूल भी कुछ गिनी चुनी है। ऐसे में कहां एडमिशन करवाए? यह भी एक समस्या है, जो छात्राएं अभी आठवीं पास कर नौवीं में गई है, उनका हिंदी मीडियम की छात्राएं होने के कारण कहीं एडमिशन नहीं हो रहा है।
अभिभावकों ने किया प्रदर्शन: स्कूल के तानाशाही रवैये को देखते हुए कई अभिभावकों और क्षेत्रीय पार्षद शिप्रा उपाध्याय तथा कांग्रेसी नेता भारत आमेटा ने स्कूल में प्रदर्शन किया तथा १०वीं की छात्राओं और आठवीं की छात्राओं को इसी स्कूल में आगे एडमिशन देने की मांग की। अभिभावकों ने कहा कि यदि स्कूल प्रशासन नहीं माना, तो वे इस मामले को अदालत में ले जाएंगे।
॥मेरी बच्ची ने १०वीं की परीक्षा दी है, जिसका अभी रिजल्ट आना बाकी है। ऐसे में बिना मार्कशीट के दूसरे स्कूल में भी एडमिशन नहीं हो पाएगा। यह स्कूल अपने तानाशाही रवैये पर अड़ा हुआ है।
-कन्हैयालाल बाबेल, अभिभावक
॥मेरी बच्ची दसवीं क्लास में इसी स्कूल में अध्ययनरत है और अब स्कूल प्रशासन ने नोटिस जारी कर दिया कि बच्ची का कहीं और एडमिशन करवाओ, जबकि मार्कशीट अभी नहीं आई है। ऐसे में दूसरे स्कूूल में एडमिशन भी नहीं करवा पा रहा हूं।
-भरत आमेटा, अभिभावक
॥हमने बच्चों की डायरी में नोट लिख कर दिया था, जिस पर अभिभावकों के साइन है, जिसकी फोटो कॉपी हमारे पास पड़ी है। हम आगे हिंदी मीडियम में नहीं पढ़ा सकते, क्योंकि हमारे पास टीचर ही नहीं है।
-सिस्टर जसविना, प्रिंसीपल, संत टेरेसा, गल्र्स स्कूल
डेढ़ सौ छात्राओं के भविष्य के साथ खिलवाड़
Date: