उदयपुर। उदयपुर शहर को स्मार्ट सिटी में लिये जाने का जोर शोर से प्रचार किया जा रहा है, लेकिन नगर निगम उदयपुर एवं जिला प्रशासन उदयपुर शहर द्वारा पॉश इलाकों एवं कच्ची बस्तियों, अल्पसख्ंयकों की कॉलोनियों के विकास एवं समस्याओं के समाधान के लिए अलग-अलग माप दण्ड अपनाए जाते हैं। यह विचार माकपा शहर सचिव एवं पूर्व पार्षद राजेश सिंघवी ने व्यक्त करते हुए कहा कि नगर निगम उदयपुर द्वारा एक तरफ तो शहर के पॉश इलाकों में रोड़ पर रोड़ का निर्माण किया जा रहा है, जिससे सड़कों का लेवल लोगों के मकान के गेट से उपर हो गया है, वहीं कच्ची बस्तियों में आज भी लोग टूटी फूटी सड़कों व नालियों के ठीक होने का वर्षो से इन्तजार कर रहे हैं।
सिंघवी ने नगर निगम उदयपुर द्वारा सफाई के मामलों में भी दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि एक तरफ तो वार्ड 15 जिसमें राज्य के गृहमंत्री गुलाबचन्द कटारिया का मकान है, में 40 से ज्यादा सफाई कर्मचारी कार्य कर रहे हैं, वहीं माछला मगरा स्थित कच्ची बस्तियों के वार्ड नं. 16 के क्षेत्र में 10 से 12 सफाई कर्मचारी ही कार्य कर रहे हैं, जिससे क्षेत्र की जनता गंदगी में रहने को मजबूर है। सिंघवी ने कहा कि उन्होंने इस बारे में कई बार महापौर, आयुक्त एवं स्वास्थ्य अधिकारी से बात कर समस्या का निराकरण करने का आग्रह किया, लेकिन वहां से सिर्फ टालमटोल का ही जवाब दिया गया।
सिंघवी ने कहा कि नगर निगम उदयपुर के रवैये से ऐसा लगता है कि उदयपुर शहर को स्मार्ट सिटी बनाने के पहले कच्ची बस्तियों, अल्पसंख्यकों के क्षेत्र को शहर से बाहर धकेल दिया जाएगा।
सिंघवी ने कहा कि नगर निगम उदयपुर ने अगर अपना दोहरा रवैया नहीं बदला और कच्ची बस्तियों, अल्पसंख्यक बस्तियों के क्षेत्र में विकास एवं सफाई कर्मचारी लगाने जैसे कार्य शुरू नहीं किये तो क्षेत्र की जनता को साथ लेकर आंदोलन किया जाएगा।
क्या कच्ची बस्तियां एवं अल्पसंख्यकों के क्षेत्र शहर से बाहर होंगे?
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