हिन्दुस्तान जिंक ने आयोजित की 8-दिवसीय ‘‘सखी’’
उदयपुर । बच्चों की स्कूल यूनिफार्म एक विस्तृत बाजार तथा स्कूल यूनिफार्म बच्चों के दाखिले के साथ-साथ निरन्तर बढ़ती जा रही है। स्कूल यूनिफार्म की बढ़ती मांग को देखते हुए हिन्दुस्तान जिंक ने अपनी ‘‘सखी’’ के कार्यक्रम के अन्तर्गत ग्रामीण व आदिवासी महिलाओं को, जो कि सिलाई कढ़ाई मे निपुण हैं, को प्रषिक्षण देने का फैसला किया। पहले दौर में तकरीबन 150 महिलाओं को जो कि देबारी व मटून से हैं, को प्रषिक्षण देने का निर्णय लिया गया।
‘‘सखी’’ कार्यषालाओं को दो चरणों में बांटा गया जिसमें पहले चरण में चार दिवसीय कार्यषाला द्वारा, तथा आठ सत्र द्वारा, इन महिलाओं को बच्चों की शर्ट व नेकर सिलना सिखाया गया।
दूसरी चार दिवसीय कार्यषाला, जिसमें भी आठ सत्रो, में बच्चों की कमीज व बालिकाओं के लिए ट्यूनिक सिलना सिखाया गया। इन कार्यषालाओं की संचालिक नियास़ क्रिएषन्स की नियति कोठारी ने बताया कि ‘‘इन सखी महिलाओं के साथ अनुभव बहुत अच्छा रहा है। इन सखी महिलाओं में काम को सीखने की बहुत लगन है इसलिए काम सिखाने में भी आनन्द आया। इन कार्यषालाओं द्वारा अब यह महिलाएं स्कूल यूनिफार्म बनाने में निपुण हैं। इन महिलाओं में से ही हम कुछ महिलाओं को चुनकर और अधिक प्रषिक्षण देंगे ताकि गांव की बाकी महिलाओं को भी प्रषिक्षित कर सकें।’’
इस अवसर पर हिन्दुस्तान जिंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री अखिलेष जोषी ने आज कार्यषाला के समापन समारोह में कहा कि जब गांव में एक महिला सामाजिक व आर्थिक रूप से सषक्त एवं समृद्ध होती है तो वह महिला ना सिर्फ अपने परिवार का, अपने गांव का बल्कि अपने देष को सुदृढ़ बनाने में योगदान देती है। इसके लिए हिन्दुस्तान जिंक सतत् प्रयत्नषील है।
’सखी’ महिलाओं का उत्साहवर्धन करते हुए हिन्दुस्तान जिंक के उपमुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री सुनील दुग्गल ने कहा कि हिन्दुस्तान जिं़क सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत ग्रामीण एवं आदिवासी महिलाओं को सामाजिक एवं आर्थिक रूप से उत्थान करने के लिए कार्यषालाएं आयोजित कर ‘सखी’ महिलाओं को मसाले बनाना, दरीयां बनाना, साज-सज्जा सामान बनाना, पेपर क्रॉफ्ट बनी चीजें बनाना, आचार पापड़ बनाना व स्कूल यूनिफार्म बनाना सिखाया जा रहा है।
हिन्दुस्तान जिंक के हेड-कार्पोरेट कम्यूनिकेषन पवन कौषिक ने बताया कि ‘‘हम सखी अभियान से जुड़ी महिलाओं को हम प्रोडक्ट क्लस्टर बनाने के लिए प्रषिक्षण प्राप्त करा रहे है। जिसमें मसाले बनाना, दरीयां बनाना, साज-सज्जा सामान बनाना, पेपर क्रॉफ्ट बनी चीजें बनाना, आचार पापड़ बनाना व स्कूल यूनिफार्म बनाना शामिल हैं। इन्ही क्षेत्रों में इन महिलाओं को विषेष प्रषिक्षण दिया जा रहा है ताकि इन महिलाओं को और अधिक आत्मविष्वासी तथा सामाजिक व आर्थिक रूप से सुदृढ़ बनाया जा सकें। यह प्रोडक्ट क्लस्टर्स उदयपुर, भीलवाडा़, राजसमंद, चित्तौडगढ़, अजमेर तथा रिंगस में बनाये जा रहे है।’’
‘‘खुष़ी‘‘ अभियान से भी जुडेंगी ‘‘सखी‘’
हाल ही में हिन्दुस्तान जिंक वेदान्ता फाउण्डेषन ने 3055 आंगनवाड़ियों को गोद लेने के समझौते के एक ज्ञापन पर हस्ताक्षर कियें हैं। इन 3055 आंगनवाड़ियों में से 1000 आंगनवाड़ियों के बच्चों के स्कूल यूनिफार्म दी जाएगी तथा आंगनवाड़ियों में दरीयां भी दी जाएंगी। जिस काम को हिन्दुस्तान जिंक के ‘सखी’ अभियान से जुड़ी महिलाएं करेंगी। इसके लिए स्कूल यूनिफार्म के प्रषिक्षण के साथ साथ हिन्दुस्तान जिंक ने दरीयां बनाने के लिए अजमेर में हथकरघा पर भी प्रषिक्षण देना निष्चित कर लिया है।
टेकरी गांव की ‘सखी’ संगीता, सखी मधु एवं सखी पूजा ने बताया कि वैसे तो वे काफी समय से सिलाईं का कर रही है लेकिन वे हमेषा से व्यवसायिक प्रषिक्षण की कमी महसूस कर रही थी जो इस सखी कार्यषाला से निष्चिततौर पर पूर्ण हो गयी है। मटून क्षेत्र की ‘सखी’ प्यारी, ‘सखी’ हेमलता व ‘सखी’ कैलाष का मानना था कि ऐसी कार्यषालाओं से उनके आत्मविष्वास में वृद्धि होती है तथा पौषाक को निपूर्णता से बनाने का कार्य सिखने के बाद उनकी आर्थिक स्थिति में निष्चित तौर पर बदलाव होगा। देबारी क्षेत्र की ‘सखी’ परवीन बानो, सखी दिलखुष, सखी सीमा, एवं सखी दुर्गा कुंवर ने कहा कि इस प्रषिक्षण से उन्हें बालिकाओं के शर्ट के लिए कॉलर से लेकर ट्यूनिक बनाने का कुषल प्रषिक्षण प्राप्त हुआ जिससे अब वे इसे व्यवसायिक तौर पर यूनिफार्म तैयार करने में सक्षम है जो कि आत्मविष्वास और आत्मनिर्भर होने की सीढ़ी साबित होगा।
कार्यषाला के दौरान इन सभी प्रषिक्षु महिलाओं के एक्सीस बैंक की टीम द्वारा जीरो बैलेंस पर निजी बचत खाते खुलवा कर उन्हे हाथो हाथ एटीएम कार्ड प्रदान किये गये। इसी प्रकार की कार्यषाला जल्द ही चित्तौडगढ़, राजसमन्द व अजमेर में स्थित हिन्दुस्तान जिं़क की ईकाईयों के आस पास के क्षेत्र में सखी स्वयं सहायता समूहों से जुडी ग्रामीण महिलाओं के लिये आयोजित की जाएगी।