उदयपुर। पुलिस की उदयपुर शहर में सक्रिय भूमाफियाओं की सूची में महज ३६ नाम ही हैं, जबकि उदयपुर में छोटे-मोटे मिलाकर कम से कम पांच सौ भूमाफिया सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं, जिन्होंने कई लोगों की जमीन को हथियाने के साथ ही उनकी जिदंगी तक उजाड़ दी है।
इनमें से कई सफेदपोश भोले-भाले लोगों की जमीनों को हड़पकर करोड़पति तक बन बैठे हैं। पुलिस की सूची में महज ३६ भूमाफियाओं का नाम होना भी इस बात की तरफ इशारा करता है कि पुलिस की इस व्यवसाय में कितनी दिलचस्पी है। कई जमीनों के हस्तांतरण के मामलों में पुलिस भी बिचौलियों की भूमिका निभाती है। एएसपी सिटी लखमनरॉय ने बताया कि जिन ३६ भूमाफियाओं की सूची जारी की गई। उनके खिलाफ पुलिस कार्रवाई चल रही है। अगर किसी के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई है और पुलिस की मिलीभगत पाई जाती है, तो सख्त कदम उठाए जाएंगे। इधर, जमीन व्यवसायी कालूलाल जैन का कहना है कि २०१२ में ही उसका नाम इस सूची से हटा दिया गया था, क्योंकि उसके खिलाफ सभी मामले निस्तारित हो चुके हैं। उनका यह भी कहना है कि पुलिस ने त्रुटिवश उनका नाम इस लिस्ट में जोड़ दिया है। यूआईटी से चलता है भूमाफियाओं का खेल: कई भूमाफिया यूआईटी में ही अधिकारियों के साथ बैठे देखे जा सकते हैं, जो यूआईटी की नवीन योजनओं की जानकारी लेकर वहां पर काबिज किसानों की सड़कों के किनारे की जमीनें पहले ही खरीद लेते हैं। बाद में ये जमीनें सड़क किनारे आने पर उनको महंगें दामों पर बेचा जाता है। विधायक गुलाबचंद कटारिया ने विधानसभा में यूनिवर्सिटी से सौभागपुरा तक बनी सौ फीट रोड का मुद्दा उठाया था, जिसमें रसूखदारों की वजह से सौ फीट रोड का एलाइनमेंट ही बदल दिया गया, जबकि नियमानुसार सौ फीट चौड़ी सड़क सीधी होनी चाहिए। उसमें ज्यादा घुमाव और मोड़ नहीं होने चाहिए।