उदयपुर। रेलवे के सफाई कर्मचारियों के ड्रेस के पीछे बड़े बड़े अक्षरों में लिखवा दिया गया है “नो टिप प्लीज” अब इसको सामंतवादी सोच कहें या फिर छोटे कर्मचारियों को अपनी झूठी इमानदारी दिखाने का इश्तहार बोर्ड। ऐसा ही एक टेग टीटी के कोट पर भी लगाया जाना चाहिए “नो रिश्वत प्लीज़” और सिर्फ टीटी ही क्यूँ हर सरकारी कर्मचारी, बड़े बड़े अधिकारी के पीछे भी लगाया हुआ होना चाहिए “नो रिश्वत प्लीज़” या “नो करप्शन प्लीज़”। करप्शन और रिश्वत की सबसे बड़ी खदानें तो यह नेता और मंत्री है, इनकी खादी के पीछे भी लिखा हुआ होना चाहिए “नो करप्शन प्लीज़”। समझदार जनता रेलवे और सरकार में बैठे रेल मंत्री सुरेश प्रभु से सवाल पूछ रही है। क्या एक छोटे से सफाई कर्मचारी के पीछे “नो टिप्प प्लीज़” लिखा कर अपनी जूठी और दिखावी इमानदारी का विज्ञापन करवा रहे है। उसकी विशेष ड्रेस के पीछे यह लिख कर क्या दिखाना चाह रहे है ? कि देखो हम कितना ध्यान रखते है कि एक सफाई कर्मचारी को ख़ुशी से दी जाने वाली टिप भी नहीं लेने देते। टिप तो फिर भी किसी कि मर्जी से खुश हो कर दी जाती है। लेकिन मजबूरी में एक सीट के लिए टीटी कितने रूपये की रिश्वत लेता है क्या ये कभी सोचा है ? छोटा कर्मचारी है मजबूरी है उसकी कुछ नहीं बोलेगा ज़रा बड़े अधिकारियों और मंत्रियों की विशेष ड्रेस बना कर उस पर “नो करप्शन” “नो रिश्वत प्लीज़” लिख कर तो देखिये। सरकार में बैठा हर नेता मंत्री जनता का सेवक है, जनता के वोटों के रहमो करम से ही सरकार बनती है, नेता और मंत्री बने है तो फिर ये अपनी कमीज़, जाकेट और अपनी बड़ी बड़ी गाड़ियों के पीछे क्यूँ नहीं लिख देते “नो करप्शन प्लीज़” “नो रिश्वत प्लीज़”।
शायद ये नहीं होगा कमज़ोर तबके को ही निशाना बना कर उसको जितना ज्यादा कमज़ोर किया जा सकता है वो काम करेगें। एक सफाई कर्मचारी की ड्रेस पर लिखा जा सकता है नो टिप प्लीज़। अधिकारी और इन मंत्रियों के माथे पर बिना लिखे हुए ही सबको दिखता है “करप्ट” “रिश्वतखोर” ।
अधिकारी और मंत्री भी पीछे लिखा होना चाहिए ” नो रिश्वत प्लीज़ ” ” नो करप्शन प्लीज़”
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