उदयपुर। राज्य सरकार ने प्रदेशभर में हेलमेट अनिवार्यता लागू करने के साथ-साथ संभागीय मुख्यालयों पर दो पहिया वाहन पर पीछे बैठने वालों के लिए भी आज से हेलमेट लागू कर दिया है। वहीं दूसरी ओर 15 दिन पूर्व अधिवक्ता एसएल मांडावत द्वारा लगाई गई जनहित याचिका पर सुनाई करते हुए न्यायालय ने “नो हेलमेट-नो पेट्रोल” के आदेश को निरस्त कर दिया है। अधिवक्ता एसएल मांडावत ने बताया कि अब वे डबल हेलमेट पर स्टे लाने की तैयारी कर रहे हैं।
उदयपुर में पिछले तीन साल से टू-व्हीलर चालक के लिए हेलमेट अनिवार्य है, लेकिन ये अभी तक पूरी तरह लागू नहीं हो पाया है। पुलिस ने पहले समझाइश की और फिर सख्ती, दोनों ही तरीके अपनाए। पिछले एक साल में केवल हेलमेट पर ही लाखों लाख रुपए के चालान काटे जा चुका है। उदयपुर में लगभग दो लाख दो पहिया वाहन रजिस्टर्ड हैं। ट्रैफिक पुलिस के चालान आंकड़ों पर नजर डालें तो एक साल में हेलमेट नहीं पहनने वाले लगभग 20 से 25 हजार वाहनों के चालकों के चालान बनाए गए हैं। इनसे 200 रुपए चालान के हिसाब से लगभग 46 लाख रुपए का जुर्माना वसूल किया गया। उसके बावजूद अभी भी शहर के मात्र पांच प्रतिशत वाहन चालक ही स्वैच्छा से हेलमेट लगाते हैं, शेष लोग केवल पुलिस अथवा चालान के डर से हेलमेट लगाते हैं। ऐसे में पीछे बैठने वाले पर हेलमेट लगाना कैसे संभव हो पाएगा। ये सोचने का विषय है।
नो हेलमेट-नो पेट्रोल का आदेश निरस्त :
जिला कलेक्टर आशतोष पेडणेकर ने लगभग २० दिन पूर्व “नो हेलमेट-नो पेट्रोल” का आदेश दिया था। इसके तहत शहर व उसके आस-पास के सभी पेट्रोलपंप को आदेश दिए गए थे कि पेट्रोल पंप पर लगे कर्मचारी हेलमेट पहने वाले दो पहिया वाहन चालकों को ही पेट्रोल देंवे। आदेश आने पर अधिक्ता एसएल मांडावत ने जनहित याचिका दायर की थी, जिसकी सुनावाई करते हुए आज न्यायाधीश पंकज भंडारी ने कहा कि धारा १३३ सीआरपीसी के तहत जिला कलेक्टर इस प्रकार का आदेश नहीं दे सकते हैं, क्योंकि पेट्रोल पंप निजी संपति में आते हैं। पंप पर वाहन बंद होता है ओर बंद वाहनों पर इस हेलमेट की अनिवार्यता नहीं होती है। इस पर न्यायाधीश ने “नो हेलमेट-नो पेट्रोल” के आदेश के निरस्त कर दिया।
नो हेलमेट-नो पेट्रोल का आदेश निरस्त
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