उदयपुर . बात हम बिना किसी लाग लपेट और भूमिका बांधे शुरू करें तो सीधी सी बात है कि दहेज़ के लोभियों को सजा मिलनी चाहिए या फिर उनसे मामला सेटल कर छोड़ देना चाहिए ताकि वह अपने मंसूबों में कही और कामयाब हों किसी और लड़की की ज़िन्दगी बर्बाद करें .
उदयपुर में सोमवार को दहेज मांगने वालों से इसी तरह की मांडवाली की लड़की और उसके परिजनों ने . बिचोलिये की भूमिका निभाई हमारे शहर के कामयाब और काबिल पुलिस अधिकारियों ने. मामला 21 लाख रूपये में सेटल हुआ, लड़के पक्ष द्वारा दुल्हन को 21 लाख रुपये दिए गए इसमें पुलिस को कितना फ़ायदा हुआ इसकी जानकारी नहीं है .
राजस्थान के उदयपुर शहर में सोमवार ९ जुलाई को गुजराती समाज भवन में सेक्टर 14, हिरणमगरी निवासी युवती इशिता उर्फ हीना पुत्री करण सिंह खजांची की कोलकाता निवासी अमित बैद पुत्र बिजय सिंह बैद से शादी होने वाली थी। शादी के एन मोके पर दुल्हन इशिता ने शादी से इनकार कर दिया और अपने परिजनों के साथ सूरजपोल थाणे रिपोर्ट लिखवाने जा पहुची . युवती ने आरोप लगाया कि अमित और उसके घरवाले, बहन, जीजा मुझे लगातार दहेज की मांग कर टॉर्चर कर रहे हैं। इशिता ने बताया कि इन लोगों ने दस दिन पहले तक मेरी सुसाइड करने जैसी हालत कर दी थी। छह महीने पहले जब मेरे मम्मी पापा कोलकाता गए थे, तब स्पष्ट कहा था कि हमारे पास देने के लिए दहेज नहीं है। तब तो बोले कि हमें कुछ नहीं चाहिए। अप्रेल में सगाई के बाद किसी भी नाम से पैसे की डिमांड करने लगे। हर बात में मुझे टॉर्चर करते थे। अब यहां शादी करने आए हैं, 6 जुलाई से यहीं पर हैं, तब से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से बार-बार ज्वैलरी, पैसे, गिफ्ट्स देने की बात कर रहे हैं। कुछ दिनों पहले इन्होंने मुझसे तीन लाख रुपए मांगे थे। मैंने जैसे-तैसे व्यवस्था कर इनके खाते में तीन लाख रुपए ऑनलाइन ट्रांसफर किए। मैं इनको जब भी पैसा देती, तो यही कहते की हमारे बीच की बात है, किसी को नहीं बताना।
दहेज़ समाज का कलंक है ,.. और दहेज़ मांगने वालों और लड़की को परेशान करने वालों के खिलाफ कड़ी कारवाई का प्रावधान भी है,.. यहाँ भी पहले तो लड़की और उसके परिजन लड़के पर दहेंज की भारी मांग का आरोप लगाते हुए थाणे पहुचे ,… शहर का मीडिया भी सक्रीय हो गया और दहेज़ मांगने वालों के खिलाफ जोर शोर से खबर चलाई ,.. लेकिन जब लड़के वाले पूरी तरह से पुलिस मिडिया के दबाव में आगये तो इसके बाद लड़की उसके परिजन और समाज के लोगों के साथ साथ शहर की पुलिस के आला अधिकारियों ने क्या किया ?
आप खुद जान लीजिये इन्होने बजाय दहेज़ के लोभियों को सजा दिलवाने के 21 लाख में मामला सेटल कर दिया और लड़के वालों से 21 लाख रुपये खर्च के नाम पर लेलिये … पुलिस ने भी बिचोलिये की भूमिका निभाते हुए अपनी जिम्मेदारी पूरी करली . समाज के मोतबिर लोगों ने भी दहेज़ मागने वालों को आसानी से जाने दिया और जो लड़की दहेज़ को लेकर बड़ी बड़ी बातें कर रही थी,.. खुद को आत्महत्या के लिए मजबूर होना बता रही थी वह भी 21 लाख के सामने अपने परिजनों के साथ नतमस्तक हो गयी.
इधर अगर लड़के वालों की बात माने तो लड़के ने दहेज़ की बात को निराधार बताया ,… सवाल काफी चुभने वाले है कि अगर दहेज़ की बात निराधार थी तो 21 लाख रुपये में सौदा क्यूँ किया … और लड़की व् उसके परिजनों से भी सवाल उठाता है कि जब लड़का और उसके परिजनों ने दहेज़ की मांग की थी तो फिर उनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवानी चाहिए थी क्यूँ 21 लाख का नाम सुनते ही नियत बदल गयी और दहेज़ मांगने वालों को निर्दोष बता कर छोड़ दिया ,.. सबसे बड़ा सवाल पुलिस के आला अधिकारियों से कि वह दोषियों के खिलाफ कारवाई करने के लिए बैठे हुए है या फिर मांडवाली करवा कर रुपये उगाहने के लिए बैठे हुए है …वर पक्ष अगर दहेज़ मांगने और दहेज़ के लिए लड़की को टॉर्चर करने के आरोपी है तो फिर क्यूँ उनके खिलाफ कारवाई नहीं की.
और एक सवाल शहर के समझदार मीडियाकर्मियों से कि क्यूँ उन्होंने पुलिस और युवती के पीआरओ की भूमिका निभाई ,.. समाज के कलंक माने जाने वाले दहेज़ की सच्चाई क्यूँ नहीं बताई ,… क्यूँ उन्होंने इस 21 लाख के समझोते पर सवाल नहीं उठाए,.. सीधा अगर कहा जाय तो क्या यह कहना उचित नहीं होगा कि लड़की और उसके परिजनों ने मीडिया और पुलिस के बूते व् दहेज़ का कैस दर्ज करवाने की धमकी के नाम पर लड़के वालों को ब्लेकमेल किया और 21 लाख में सौदा कर लिया,.. उदयपुर पोस्ट का सीधा सा मानना है कि अगर लड़के ने लड़की से दहेज़ की मांग की और लड़की के अनुसार उसको इतना परेशान किया कि वह आत्महत्या पर मजबूर हो गयी तो फिर आखिर क्यूँ 21 लाख में उन दहेज़ के लोभियों को बख्श दिया क्यूँ कि अब वह किसी और की ज़िन्दगी बर्बाद करेगें और इस 21 लाख को सूद सहित किसी और लड़की व् उसके परिजनों से उगाही करेगें .