उदयपुर.पन्नाधाय जनाना अस्पताल में डाक्टरों और स्टाफ की लापरवाही से पांच वर्ष पूर्व हुई एक प्रसूता की मौत को गंभीर अपराध मानते हुए स्थायी लोक अदालत ने 6 लाख 66 हजार रुपए जुर्माना लगाया है। अदालत ने अस्पताल प्रबंधन को इनमें से पांच लाख रुपए प्रसूता की पांच साल की बेटी के नाम किसी राष्ट्रीयकृत बैंक में एफडी कराने के आदेश दिए हैं।
क्या है मामला
दरौली के गोपाल पुत्र धूल शंकर शर्मा और उसकी बेटी विनीशा ने अस्पताल अधीक्षक और राज्य सरकार पर कलेक्टर के जरिए परिवाद दर्ज कराया था। परिवादी के वकील पराग अग्रवाल और मनीष शर्मा ने स्थाई लोक अदालत के अध्यक्ष के.बी.कट्टा और मेम्बर शंभू सिंह राठौड़ व सुशील कोठारी को बताया कि जिम्मेदार डाक्टरों और स्टाफ की लापरवाही से एक महिला की 20 वर्ष की उम्र में मौत हो गई।
तो नहीं छिनता विनिशा के सिर से मां का साया
गोपाल ने अपनी पत्नी तुलसी को डिलीवरी के लिए 13 फरवरी 2011 को जनाना अस्पताल में भर्ती कराया था। जहां उसी दिन शाम छह बजे ऑपरेशन से तुलसी ने बालिका विनिशा को जन्म दिया। इसके बाद तुलसी को पोस्ट ऑपरेटिव वार्ड में दाखिल किया गया। प्रार्थी का आरोप है कि डाक्टरों ने रात 9 बजे तक मरीज की खैर खबर नहीं ली। हालत बिगड़ने पर डाॅ. शिल्पी गुप्ता और डाॅ. कमलेश पंजाबी को बुलाया गया था। सीनियर डाक्टरों के नहीं आने पर जूनियर डाक्टरों ने तुलसी का दोबारा ऑपरेशन किया।
इस दिन हुई थी मौत
इस दौरान यूनिट इंचार्ज डाॅ. राजरानी शर्मा भी देर से पहुंची। दोबारा आॅपरेशन के बाद भी उसकी हालत गंभीर रही और 18 फरवरी को तुलसी की मौत हो गई। परिवादी के वकील पराग अग्रवाल और मनीष शर्मा ने दावे में बताया कि नाजुक हालत में उसे वेंटीलेटर पर रखने में देर हुई। जेनरेटर खराब होने से उपकरणों का उपयोग नहीं किया जा सका। मृतका का पोस्टमार्टम मेडिकल बोर्ड से कराया गया था। आरोप है कि सीनियर डॉक्टरों को बचाते हुए पैरामेडिकल स्टाफ पर जिम्मेदारी डाल दी गई थी।