उदयपुर. प्रतापनगर पुलिस ने शनिवार को गणेशनगर स्थित अग्रवाल सदन के एक कमरे में दबिश देकर वहां से एक महीने के बच्चे और बच्चे की खरीद-फरोख्त करने वाले रेलमगरा हाल सेक्टर-3 निवासी राजेन्द्र विजयवर्गीय उर्फ राजू पुत्र रामप्रकाश और गीता-मंदिर, अहमदाबाद निवासी ज्योति बेन पत्नी अशोक भाई मकवाना को गिरफ्तार किया था। इनकी सूचना पर रविवार को अहमदाबाद से अहमदाबाद के नरोड़ा निवासी धवल पुत्र अशोक त्रिवेदी, उसकी पत्नी अंजना उर्फ अंजू और सिद्धेश्वरी नगर निवासी अरविंद भाई पुत्र कांतिलाल मकवाना गिरफ्तार किया था। आरोपियों ने बच्चे की खरीद-फरोख्त की पूरी चेन का खुलासा किया ।
नवजात को बेचने के मामले में पुलिस ने आरोपी मां चैंबूर, मुंबई निवासी खुर्शीद बानो उर्फ खुशी (30) पत्नी शमीम अहमद को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी महिला ने पुलिस को बताया कि गर्भवती होने के पहले से उसे और उसके पति को बेटी की चाहत थी। एक्सीडेंट में पति का हाथ कटने से इलाज के लिए उसे रुपयों की जरूरत थी। गत महीने डिलीवरी हुई, बेटी के बजाए बेटा जन्मा तो उसने बेचने का मानस बना लिया।
आर्थिक स्थिति नहीं थी अच्छी
एसआई अजय सिंह ने बताया कि खुशी का शमीम अहमद से दूसरा निकाह हुआ था। शमीम के ऑटो चालक होने से आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। पहले पति जहीर अब्बास से खुशी के दो बेटे हैं और साथ में ही रहते हैं। परिवार में दो बेटे होने से शमीम को तीसरी संतान बेटी की चाहत थी। जुलाई 2015 में खुशी गर्भवती हुई। इस दौरान ही एक एक्सीडेंट में शमीम का हाथ कट गया। परिवार की आर्थिक स्थिति और ज्यादा खराब हो गई और पति के इलाज के लिए भी उसे रुपए चाहिए थे। अप्रैल में उसने एक बेटे को जन्म दिया। बेटी नहीं होने से उसे इस संतान की चाहत नहीं थी। पति के इलाज में रुपयों की जरूरत बढ़ती जा रही थी तो उसने बेटे को बेचने का मानस बनाया और धवल-अंजू काे फोन कर बच्चा बिकवाने के लिए कहा।
सहेली के इलाज के लिए आई थी इन्फर्टिलिटी सेंटर पर
नवजात बेटे को बेचने की आरोपी महिला खुशी ने पूछताछ में बताया कि उसकी सेहली शहनाज की संतान नहीं होने से उसका उदयपुर के एक इन्फर्टिलिटी सेंटर पर इलाज चल रहा था। वह सहेली के यहां आई हुई थी। खुशी शहनाज के साथ इन्फर्टिलिटी सेंटर गई और वहीं उसकी मुलाकात अंजू-धवल से हुई।
नवजात को महेशाश्रम से राजकीय शिशु गृह भेजा
बाल कल्याण समिति, उदयपुर ने सोमवार को खरीद-फरोख्त का शिकार हुए बच्चे को महेशाश्रम से राजकीय शिशु गृह भेजने के आदेश दिए। आदेश के बाद बच्चे को शिशु गृह में प्रवेशित कराया गया। सीडब्ल्यूसी ने 13 मई को होने वाली बैठक में संपूर्ण कार्यवाही की प्रगति रिपोर्ट के साथ जांच अधिकारी को व्यक्तिगत रूप से तलब किया है।