स्कूल प्रबंधन पर मामला दबाने का आरोप, अमेरिकन अस्पताल में परिजनों की चौकसी करने में लगा स्कूल स्टॉफ
उदयपुर। दिल्ली पब्लिक स्कूल (डीपीएस) के एक छात्र ने कल दोपहर स्कूल परिसर स्थित हॉस्टल के दूसरे माले से कूदकर आत्महत्या का प्रयास किया। यह आरोप लगने के बाद से स्कूल प्रबंधन मामले को दबाने का जबरदस्त प्रयास कर रहा है। घायल बांसवाड़ा का यह छात्र अमेरिकन हॉस्पीटल में भर्ती है, जहां छात्र के परिजनों की स्कूल प्रबंधन ने पूरी तरह घेराबंदी की हुई है, ताकि वे स्कूल प्रबंधन के खिलाफ कोई बयानबाजी या कार्रवाई न कर दें। दूसरी तरफ स्कूल की प्रिंसीपल नीरू टंडन का कहना है कि आरोप निराधार है। छात्र ने आत्महत्या का प्रयास नहीं किया बल्कि यह महज एक एक्सीडेंट है।
सूत्रों के अनुसार डीपीएस में सातवीं कक्षा का छात्र साहिल (१२) पुत्र शाहिद खान कल दोपहर १२ बजे बाद हॉस्टल के पीछे घायलावस्था में मिला। स्कूल स्टॉफ की तरफ से दो बातें सामने आई हैं। पहली साहिल खाना खाने हॉस्टल गया था। दूसरी साहिल हॉस्टल में भूल आया कॉपी लेने गया था। इसी दौरान अचानक वह हॉस्टल की दूसरी मंजिल से गिर गया।
सूत्रों का कहना है कि साहिल ने स्टाइलिश बाल रख रखे थे। इस कारण प्रिंसीपल नीरू टंडन और हॉस्टल वार्डन उसे काफी टॉर्चर करते थे। सात दिन पहले साहिल के बाल कटवा दिए गए, जिससे साथी बच्चे और स्कूल स्टॉफ उसकी हंसी उड़ा रहे थे। इससे तंग आकर उसने हॉस्टल से कूदकर आत्महत्या कर प्रयास किया। बहरहाल अमेरिकन हॉस्पीटल के डॉक्टरों का कहना है कि साहिल अभी होश में नहीं आया है, लेकिन उसकी हालत खतरे से बाहर है। वह जल्द ही होश में आ जाएगा। दूसरी तरफ, मनोचिकित्सक का कहना है कि अगर बच्चे ने स्कूल प्रबंधन के कारण सुसाइड अटैम्प किया है तो स्कूल स्टॉफ को हॉस्पीटल से हटा देना चाहिए। बच्चे के होश में आने पर स्कूल स्टॉफ को उसके सामने नहीं जाने दिया जाना चाहिए, ताकि बच्चे के दिमाग पर बुरा असर नहीं पड़े।
हॉस्पीटल में लगा स्कूल स्टॉफ : साहिल के पिता शाहिद हादसे की सूचना मिलते ही कुवैत से उदयपुर पहुंच गए। अमेरिकन हॉस्पीटल में साहिल का पूरा परिवार मौजूद है। आज सुबह जब यह रिपोर्टर अमेरिकन हॉस्पीटल पहुंचा तो वहां डीपीएस स्कूल का स्टॉफ साहिल के परिजनों की घेराबंदी किए हुए था। स्वयं स्कूल की प्रिंसीपल नीरू टंडन भी वहां मौजूद थी। पता चला है कि स्कूल प्रबंधन छात्र के आत्महत्या के मामले को पूरी तरह से दबाकर अपनी मनगढ़ंत कहानी मीडिया में प्रसारित कराना चाहती है, ताकि स्कूल की बदनामी से बचा जा सके।
: साहिल पर किसी तरह का कोई टार्चर नहीं किया गया। उसके बालों को लेकर कोई दिक्कत नहीं थी। यह एक एक्सीडेंट का मामला है, जिसे बेवजह आत्महत्या का मामला बताया जा रहा है। मैं बच्चे के जल्द स्वस्थ होने की कामना करती हूं।
-नीरू टंडन, प्राचार्य, डीपीएस
एक बार साहिल होश में आ जाए। अल्ला-ताला से ये ही दुआ कर रहे हैं। साहिल ने सुसाइड अटैम्प किया या नहीं। अभी मैं इस बारे में कुछ भी नहीं कह सकता। साहिल के साथ हुए हादसे की सूचना मिलते ही कुवैत से रवाना हो गया था।
-शाहिद खान, साहिल के पिता
अगर बच्चे ने प्रिंसीपल या स्कूल स्टॉफ की वजह से आत्महत्या का प्रयास किया है तो बच्चा होश में आए, तब स्कूल का स्टॉफ सामने नहीं होना चाहिए। सबसे पहले उसके माता-पिता उसके पास होने चाहिए, ताकि वह अपनी बात उनको सही तरीके से बता सके। वह होश में आते ही अगर स्कूल के स्टॉफ को देखेगा तो डर जाएगा और सही बात सामने नहीं आ पाएगी। बच्चे के दिमाग पर बुरा असर भी हो सकता है।
-सुशील खेराड़ा, मनोचिकित्सक
[quote_box author=”” profession=””]सवाल मांगते जवाब :
चलती क्लॉस से बच्चा अकेला निकलकर हॉस्टल में कैसे पहुंच गया?
-हॉस्टल में सुरक्षा कर्मी नहीं थे क्या? और थे तो उन्होंने साहिल को क्यों नहीं रोका?
-अगर साहिल कॉपी लेने हॉस्टल गया था तो इसकी जानकारी क्लास टीचर को क्यों नहीं थी? जबकि हर पीरियड में बच्चों की हाजरी होती है।
-अगर वह टीचर को सूचना देकर हॉस्टल गया था, तो उसे स्कूल में सब तरफ क्यों खोजा गया? जबकि मालूम था कि वह हॉस्टल गया था।
-साहिल खाना खाने अकेला क्यों गया था? क्या स्कूल में कोई भी बच्चा खाना खाने के लिए अकेला आ-जा सकता है?
-क्या हॉस्टल में बच्चों को खाना खिलाने का कोई निश्चित समय नहीं है जबकि स्कूल की अधिकृत वेबसाइट पर लंच टाइम दोपहर 2.15 से 2.45 बजे तक दर्शा रखा है?[/quote_box]