उदयपुर। उदयपुर नगर निगम के वार्डों में बराबर काम नहीं होने और जनता के सवालों से परेशान पार्षदों और समिति अध्यक्ष अब धीरे धीरे महापौर के विरोध में होते जारहे है। वार्ड दस के पार्षद ने अतिक्रमण निरोधी समिति अध्यक्ष के पद से इस्तीफा गृहमंत्री शहर विधायक गुलाबचंद को थमा दिया। माना जा रहा है कि इस्तीफे का यह क्रम आने वाले दिनों में बढ़ता जाएगा क्यूँ कि महापौर के कार्य से कई समिति अध्यक्ष नाखुश है। सोमवार को दिन भर नगर निगम और सोशल मीडिया पर पार्षद के समिति अध्यक्ष पद से इस्तीफे को लेकर चर्चा होती रही।
शनिवार सुबह मोर्निंग वाक के दौरान वार्ड आठ के पार्षद देवेन्द्र जावलिया ने समिति अध्यक्ष पद से इस्तीफा थमा दिया। और दिन में उनकी महापौर से कहा सुनी भी हो गयी। देवेन्द्र जावलिया ने कहा कि वार्ड में तीन साल में मात्र 40 लाख रूपए का काम हुआ है, जनता परेशान है, सीवरेज की लाईने खुली पड़ी पड़ी है। नालियां और सड़कें टूटी पड़ी है। कई प्रस्ताव दे चुके हैं लेकिन काम ही नहीं करवा रहे है। जनता मुझे और मण्डल अध्यक्ष को सुना रही है। इतना ही नहीं ही नहीं जावलियां ने तो यहां तक कहा कि एक – एक कमरे वाले गरीबों के अतिक्रमण तोड़ जा रहे है और कुछ बड़े अतिक्रमण है जिनकी जानकारी भी निगम में दे रखी है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। शनिवार को ही दोपहर में ही मेयर और जावलिया के बीच तीखी नौकझोंक भी हो गई थी। सूत्रों की माने तो करीब चार पांच पार्शद और समिति अध्यक्ष और है जो जल्द ही अपना इस्तीफा दे सकते हैं। ऐसे में गृहमंत्री कटारिया के लिए भी यह सोचने का विषय हो गया है कि आखिर महापौर पर उनका निर्णय सही था या गलत क्योंकि उनकी बनाई हुई सेना ही अब व्यथित होकर टूटने लगी है। इस पूरे प्रकरण पर देवेंद्र जावलियां यह जरूर कहना था कि मैने जो भी किया जनता की भलाई के लिए किया। मैं यहां जनता सेवा करने के लिए आया था ये ही नही कर पाऊं तो क्या फायदा। वहीं इस पूरे मामले पर मण्डल अध्यक्ष चंचल कुमार अग्रवाल भी स्वीकार किया कि वाकई जनता का काम नहीं होने से पार्शद परेषान है। इसकी कई बार शीकायत जिलाध्यक्ष तक भी पंहुचाया है। मण्डल में आठ पार्षद भाजपा के है उनकी परेशानी जिलाध्यक्ष तक पंहुचा दी गई थी। दिनेष जी भट्ट ने हमेषा आष्वासन ही दिया है।
उदयपुर नगर निगम घमासान – जनता के काम नहीं हो रहे, पार्षद ने दिया इस्तीफा
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