उदयपुर | नगर निकायों के चुनाव में राज्य चुनाव आयोग इस बार पार्षद बनाने वाले प्रत्याशियों पर मेहरबान है | और खर्च करने के अंकुश को थोड़ा ढीला किया हुआ है | जीतनी सख्ती लोकसभा विधान सभा में दिखाई दे रही थी अभी उनती सख्ती नहीं दिखाई दे रही है | बैनर और पोस्टर को छोड़ कर खूब करो पार्टियां कोई निगरानी वाला नहीं है ।
जहां लोकसभा विधान सभा के चुनाव में प्रत्याशियों के चुनावी कार्यालय में पानी की बोतलों और चाय के एक एक कप का हिसाब होता था आज वही पार्षद प्रत्याशियों के ऊपर इसका कोई अंकुश नहीं है | चुनाव आयोग मुख्य रूप से पोस्टर और बैनरों पर अधिक ध्यान लगा रहा है | अब खान पान के लिए प्रत्याशी चाहे जितना कार्यकर्ताओं पर खर्च करे मिर्ची बड़ा, कचोरी तो क्या हलवा पूड़ी से लेकर मर्जी हो वह व्यंजन खिला सकता है | राज्य निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार नगर निगम चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार द्वारा प्रचार सामग्री पर खर्च की जाने वाली राशि का ही हिसाब देना होगा। इसके लिए पूर्व में निर्धारित सीमा 40 हजार से बढ़ा कर इस बार 80 हजार रुपए कर कर दी गई है।
उम्मीदवार द्वारा खान-पान और सभा आदि पर खर्च के लिए निर्वाचन आयोग की ओर से कोई रोक नहीं है। उम्मीदवार के कार्यालय आदि खोले जाने पर भी कोई अंकुश नहीं कोई निगरानी नहीं। नगर निगम चुनाव में प्रचार के लिए पोस्टर-बैनर, हैंडबिल, समाचार-पत्रों में विज्ञापन आदि पर खर्च के लिए आयोग ने 80 हजार रुपए की सीमा निर्धारित कर रखी है। इसका हिसाब भी मतगणना के बाद तीन दिन में पेश किया जाना है। खाने-पीने, चाय आदि पर खर्च की कोई लिमिट तय नहीं की है।
पार्षद प्रत्याशियों पर राज्य चुनाव आयोग का कोई अंकुश नहीं – खूब उड़ाओ पार्टियां
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