उदयपुर । नगर निगम बोर्ड की साधारण सभा की आखरी बैठक सोमवार को संम्पन्न हुई | जहां सत्ता पक्ष ने अपने पिछले पांच साल की उपलब्धियां गिनाई तो विपक्ष जम कर पिछले पांच सालों पर सवाल उठाये | निगम की बैठक में पंचायती राज मंत्री गुलाबचंद कटारिया और ग्रामीण विधायक फूल सिंह मीणा भी मौजूद रहे ।
शुरुआत में महापौर द्वारा पांच वर्ष के सफलता पूर्वक कार्यकाल के धन्यवाद भाषण के बाद पहला प्रस्ताव पढने के पहले ही विपक्ष के पार्षदों ने सवाल उठाना शुरू कर दिये व् लम्बे विवाद के बाद जब गुलाबचद कटारिया ने भड़क कर प्रस्ताव पर चर्चा करने को कहा तब प्रस्तावों पर चर्चा हुई और एक एक कर सारे प्रस्तावों पर सहमति बनती गयी |
इस बैठक के पहले माना जारहा था की कई सत्ता पक्ष के पार्षद जो पिछले काफी समय से महापौर से नाराज़ चल रहे थे जिनका महापौर से कई बार खास विवाद भी हो गया था वह पार्षद इस बैठक में हंगामा करेंगे | लेकिन किसी पार्षद ने विरोध का एक स्वर भी नहीं निकला और पुरे वक़्त निगम और महापौर का बचाव करते नज़र आये क्यों कि नगर निगम चुनाव करीब है और इस बार निगम में महापौर की कुर्सी सामान्य है जिसके चलते सभी की आँखों में महापौर की की कुर्सी की चमक है, और मेवाड़ के कद्दावर नेता गुलाबचंद कटारिया जिनकी मर्जी से पार्षद के टिकिट और महापौर का निर्णय किया जाएगा उनके सामने किसी पार्षद की आवाज़ नहीं निकली | गौरतलब है की कई पार्षदों ने महापौर से विवाद के चलते पिछले कई समय से नगर निगम में आना तक छोड़ दिया था |
सभा शुरू होते ही विपक्ष ने सवालों की झड़ी लगा दी विपक्ष के नेता दिनेश श्रीमाली ने कहा की पिछले पांच साल में नियम के हिसाब से नगर निगम में साधारण सभा बोर्ड की करीब तीस बैठक होनी चाहिए थी लेकिन अभी तक आधी भी नहीं हुई | कांग्रेसी पार्षद अजय पोरवाल रेहाना जर्मनवाला मोहम्मद आयुब और प्रतिपक्ष के नेता दिनेश श्रीमाली ने पिछले पांच सालों में कांग्रेसी पार्षदों के वार्डों में विकास और निर्माण कार्यों को लेकर सवाल उठाये की उनके वार्डों में पक्षपात किया गया है | श्रीमाली ने कहा की हर वार्ड में एक एक करोड़ के काम हुए लेकिन फिर भी विकास कही दिखाई नहीं देता जिन वार्डों में काम हुए है वहां भी सड़के और नालियां तक टूटी हुई है | अजय पोरवाल ने आरोप लगते हुए कहा कि कई वार्डों में तो बिना वजह सडकों के कार्य और रंग रोगन के कार्य लरवये जा रहे है | अय्यूब और श्रीमाली ने अवैध निर्माण और अतिक्रमण पर भी सवाल उठाये | श्रीमाली ने तो अवैध निर्माण पर निगम आयुक्त हिम्मत सिंह बारहठ पर आरोप लगते हुए कहा की हर अवैध निर्माण के स्वीकृति इन्होने दी है इनकी जाँच करवाई जाए |
सदन में सामुदायिक केन्द्रों के शुल्क बढ़ोतरी पर भी काफी गरम माहोल रहा | हालाँकि सामुदायिक केन्द्रों में शुक बढ़ने का प्रस्ताव संशोधन के बाद पास हो गया लेकिन विपक्ष ने आरोप लगाया की कई सामुदायिक केन्द्रों पर कुछ प्रभावशाली लोगों का कब्जा है जिससे की आम जन को सुविधा नहीं मिलती उनसे चाबी ली जाए | इस पर कटारिया ने भी बात को सही ठहराते हुए कहा कि चाबी नगर निगम के पास होनी चाहिए और सामुदायिक केन्द्रों का रखरखाव सही ढंग से होना चाहिए | नगर निगम के वाटिकाओं और सामुदायिक केन्द्रों पर शूलक बढ़ने को कटारिया ने भी सही ठहराया |
होटल एवं रेस्टोरेंट के वार्षिक शुल्क के प्रस्ताव को कमिटी बना कर पुनः विचार करने को कहा क्यों की लगाये जाने वाले शुल्क बहुत अधिक है जनका भार यहाँ आने वाले पर्यटकों पर पडेगा | इधर शहर में अन्य रूटों पर बेस चलने के लिए कटारिया ने कहा की इस मामले में निगम खुद पहल करे और अगर ठेकेदार नहीं चलता है तो निगम चाहे घाटा खा कर लेकिन खुद चलाये और जनता को सुविधा दे |
कटारिया भड़के : मीटिंग शुरू होते ही विपक्षी पार्षदों का विरोध शुरू होगया था जो प्रस्ताव पढने के पूर्व ही लंबा खींचता गया | जिसपर बाद में कटारिया भड़क कर अपनी सीट से खड़े होगये और कहा की यदि आपलोगों को प्रस्तावों पर चर्चा करनी होती ठीक है वरना मेरे पास समय नहीं है में डेड घंटा बेकार में बर्बाद कर दिया | कटारिया ने कहा की आप लोगों का मकसद सिर्फ विरोध करना है किसी बात को समझना नहीं है | उन्होंने कहा की छोटी मानसिकता मत रखो और शहर के विकास में भागीदार बनो कटारिया के भड़कने के बाद सभी चर्चा प्रस्तावों पर हुई और एक एक कर सभी प्रस्तावों पर आम सहमति बनती गयी |
विपक्ष के नेता सदन में नहीं लेकिन बाहर बोले बोर्ड फ़ैल : विपक्ष के कांग्रेसी नेताओं ने सदन में तो नहीं लेकिन बाहर आकर कहा की भाजपा का यह पांच वर्ष का कार्य काल फ़ैल है जिसने शहर में विकास से अधिक अतिक्रमण और अवैध निर्माण करवाये जिस बोर्ड की महापौर की जिद्दी तानाशाही और अड़ियल रवैये के कारण चार पांच पार्षदों को छोड़ कर बाकी सभी पार्षद नाराज़ रहे | विपक्ष के कांग्रेसी पार्षदों का कहना है, कि पिछले पांच सालों में शहर में विकास और जन हित के काम कम और अवैध निर्माण ज्यादा हुए है | पिछले पांच सालों में नगर निगम अतिक्रमण करने वालों की सरपरस्त बनी हुई है, अतिक्रमण करने वालों के हौसले इतने बुलंद है कि कोर्ट और निगम के नोटिस के बावजूद पक्के निर्माण और सार्वजनिक जहां पर निगम की महापौर की सरपरस्ती के चलते जगह पर काबिज हुए बैठे है | और और अवैध निर्माण करने वालों पर कोई अंकुश नहीं लगपाये जी प्लस ३ की अनुमति लेकर छह मंजिल तक निर्माण कर डाले है |