उदयपुर। शिक्षा का सौदा करने वाले शिक्षा माफिया ने कोचिंग सेंटर के जरिये रुपयों की लालच में पहले तो रीट की कोचिंग के लिए जानवरों की तरह छात्रों को एक ही क्लास में भर दिया। जब व्यवस्था नहीं संभली और कोचिंग करने आये छात्र छात्राओं ने विरोध किया तो उनको काबू में करने के लिए मुस्टंडे बाउंसर बुलवा लिए। हंगामे के बाद कोचिंग सेंटर संचालक ने व्यवस्था सही करने का आश्वाशन लिया लेकिन इसके पीछे सवाल यह उठता है कि क्या इन शिक्षा के माफियाओं पर किसी का कोई अंकुश नहीं है। इन्हें क्या किसी नियम में नहीं बाँधा जा सकता ?
शिक्षकों की भर्ती के लिए राज्य सरकार द्वारा रीट फर्स्ट और सेकण्ड लेवल की घोषणा क्या हुई शहर में कोचिंग सेंटर के नाम पर खुली हुई बड़ी बड़ी दुकानों की चांदी हो गयी। बिना नियम और बिना कोई अंकुश के इन शिक्षा के लुटेरों ने बड़े अखबारों में बड़े बड़े विज्ञापन के जरिये छात्रों को लुभा लुभा कर अपनी शिक्षा की दूकान में बुला लिया।
एसी ही शिक्षा की दूकान माय गुरुकुल ने रीट फर्स्ट और सेकण्ड लेवल की कोचंग के लिए भारी फीस लेकर एडमिशन दे दिया। नवभारत स्कूल में क्लास लगाईं जहाँ स्थिति यह है कि एक ही हॉल में सेकड़ों छात्र जानवरों की तरह भर दिए। एक सिखाने वाला जिसकी आवाज़ चोथी लाइन से आगे जाती नहीं और कोचिंग दी जा रही है। पढ़ने आए बच्चे बाहर तक बैठे हुए थे। वहीं एक टेण्ट भी लगाया गया था जहां छात्रों के बैठने की व्यवस्था की जा रही थी। ऐसे में छात्रों को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था और वह परेषान हो गए थे। हाॅल में सुबह से बेच में आए छात्र छात्राए दिनभर बैठे रहते थे और बाद में आने वाले छात्रों को मजबूरन बाहर ही बैठना पड़ता था। विद्यार्थी पहले से ही टेण्ट से पड़ने वाली गर्मी से परेषान ऐसे में न तो फेकल्टी की आवाज उन तक आ रही थी न ही प्रोजेक्टर दिखाई दे रहा था। छात्रों ने इसकी शीकायत कई बार गुरूकुल प्रशासन को की लेकिन किसी ने एक न सुनी। बुधवार को सेकड़ों छात्र इस अव्यवस्था से परेशान हो कर माय गुरूकुल कोचिंग इंस्टीट्यूट और उसके निदेषक खिलाफ नारेबाजी करते हुए दिखाई दिए। माय गुरुकुल का निदेशक बजाय अपनी गलती स्वीकारने की बजाए हद ही पार कर दी। खाकी से मदद जगह उसने बाउंसर कहे जाने वाले मुस्टंडो को बुलाकर देश के भविष्य बनने वाले छात्रों के साथ बाहूबल दिखाने का प्रयास किया। यह पूरा घटनाक्रम काफी देर तक शहर की सबसे व्यस्त माने जानी वाली सड़क अशोकनगर पर चलता रहा और भूपालपुरा थाने की पुलिस मुकदर्षक बनकर देखती रही। छात्रों की पीड़ा सुनकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिशद के पदाधिकारी भी मौके पर पंहुच गए और छात्रों के साथ में विरोध प्रदर्षन करने लग गए और चेतावनी दी कि अगर जल्द ही व्यवस्था सूचारू नहीं हुई तो छात्रों की फीस वापस लौटानी पड़ेगी और अगर ऐसा नहीं किया गया तो उग्र आंदोलन किया जाएगा।
सवाल आखिर यह उठता है कि शिक्षा की दूकान चलाने वाले इन कोचिंग सेंटरों पर प्रशासन का क्या कोई अंकुश नहीं है। जितना पैसा ये लोग छात्रों से लेते है उस स्तर की पढाई यह करवा भी रहे है या नहीं कोई सुविधा दे रहे या नहीं क्या इस बात की कोई मोनिटरिंग नहीं करता है। अखबारों में बड़े बड़े लाखों रूपये के विज्ञापन देकर ये शिक्षा के माफिया आखिर छात्रों के मजबूर माँ बाप को कब तक लूटते रहेगें।
उदयपुर पोस्ट हर छात्र से कहना चाहता है कि जो भी छात्र इन कोचिंग सेंटर में पढने जाता है उसमे इस तरह की कोई भी अव्यवस्था, अनियमितता दिखाई देती है तो हमे जरूर सूचित करें।
अगर इन्होने शिक्षा की दूकान ही खोल रखी है तो फिर हक़ से इन्हें मजबूर करो की तुम्हे सही शिक्षा दें क्यूँ कि तुम इसकी उन्हें जरूरत से अधिक कीमत चुका रहे हो।
अनियमितता या समस्या होने पर हमे जरूर सूचित करें।